“हीरा सोनाखान के”, ये किताब अमर शहीद वीर नारायण सिंह के वीरता के गाथा आय, इही पाय के एला वीर छन्द मा लिखे गेहे ।
वीर छन्द ला आल्हा छन्द घलो कहे जाथे | ये मात्रिक छन्द आय। विषम चरण मा 16 मात्रा अउ सम चरण मा 15 मात्रा होथे । सम चरण के अंत गुरु, लघु ले करे जाथे। अतिश्योक्ति अलंकार के प्रयोग सोना मा सुहागा कस काम करथे | ये किताब मा आल्हा छन्द सहित 21 किसम के छन्द पढे बर मिलही।
… पढे जाने बिना चिंतन नई हो सके। बिना चिंतन के कविता नई हो सके अउ कविता ला छन्द मा बाँधे बर अभ्यास अउ साधना जरूरी होथे। हीरा सोनाखान के, एमा कवि के ज्ञान, चिंतन अउ साधना के दर्शन होवत हे। वइसे त ये कृति हर मनीराम साहू जी के आय फेर अब छत्तीसगढ़ी साहित्य के धरोहर बन जाही। जउन मन आजादी के इतिहास नइ जानत हें वहू मन ये किताब ला पढ के आजादी के इतिहास अउ वीर नारायण के त्याग ला जान जाहीं। ये किताब नवा कवि मन ला नवा रद्दा देखाही कि छत्तीसगढी मा सुग्घर कविता कइसे लिखे जाथे। आज छत्तीसगढ के कवि मन मा हीरा कस दमक वाले सुकवि मनीराम साहू जी ला मय गाडा गाडा बधाई देवत हँव। उन अइसने सुग्घर कविता लिखत रहें अउ छत्तीसगढी साहित्य ला समरिधि करत रहाँय ।
– अरुण कमार निगम
अजय अमृतांशु जी के समीक्षा आप ये कड़ी ले पढ़ सकत हव.. समीक्षा – हीरा सोनाखान के