पच्चीस साल ले हमर संगी जंवरिहा मन अपन-अपन कविता मन ल परसादी म हमला दे रहिन, कुछ मन बर तो कछु काहीं लिखेन फेर सब्बेच
बर लिखना संभव नहीं रहिस, त उंकर कविता मन ल एमेर रख के उरिन होय के उजोग करे गय हे । कतको महत्वपूर्ण कवि मन छूट गए होहीं, एकर
लिए मैं पहीलीच ले माफी मांगत हवंव। अठ जे कवि मन ल किताब म आदरपूर्वक रखे गय हे उंकर हमर आभार प्रकट करत हन, उंकर समादर
करत हन। एहर छत्तीसगढ़ी के पहिली काव्य संकलन नोहय, अठ कई उन संकलन छप चुके हे। ओह मन ले मधु संचयन करे हन…..
लेखक / संपादक के पुत्र के द्वारा कन्टेट प्रकाशित करने के लिए कहा गया था उसके उपरांत उन्हीं के द्वारा कन्टेंट हटाने के अनुरोध पर किताब की पीडीएफ प्रति हटा दी गई है।