सुनो रे संगी ! सुनो रे सांथी ! सुनो मोर मितान !
देसी राज म गोहार होवथे, होगे मरे बिहान !
जागो-जागो, गा जवान !
जागो-जागो, गा किसान !
जागो, जम्मों हिन्दुस्तान !
अजादी संगी ! रखैल होगे, ठाट-बाट अउ पोट के
अंधरा कानून कोंदा-भैरा, पग-पग म खसोट हे
ईमान के इनाम लंगोटी, बईमान बिछौना नोट हे
देस-राज बर सहीद होगे, होगे जे बलिदान
दाना-दाना बर तरस जथे, तिंकर लइका अउ सियान !
जागो-जागो, ….
देंवता कस मान पावथे, खादी म हुंर्रा-गिधवा
सुवारथ के सरकार ए, चोर-लुटेरा मितवा
जोगनी लुटइया सितारा होगे, जोगनी मरथे सिधवा
ठाट-बाट मेछा अंईठइया, नइ भरे लगान
सरकारी तगादा पाके, मर जाथे किसान !
जागो-जागो, ….
राम देस, रावन बिल्लागे, सीता सिरावथे देस ले
लाज-सरम बेसरम होगे, कुरीत आवथे बिदेस ले
चूंदी छरिया मोटयारी नाचथे, जइसे परेतीन केंस में
चेहरा ऊपर चेहरा धरे हे, कतको इंसान
बेरा-कुबेरा बेर्रा मन, बनथे मरी-मसान !
जागो-जागो, ….
जंगल म चुल्हा नइ बरे, भूख आगी म पेट जरथे
सहरी हुंर्रा बन म आथे, बन बेटी ल भरम ले जाथे
बेटी ल बेंचथे सहर-सहर, गांव म दाई कलप रोथे
भाड़खया मन छुछवावत आथे, गरीब के मचान
ललकारो रे कोंदा-कोंदी ! भाला-तीर-कमान !
जागो-जागो, ….
लोक नाथ साहू ‘ललकार’