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कविता

ये जमाना बिगड़ गे

ये जमाना बिगड़गे रे भाई
ये जमाना बिगड़गे रे
:-गुल्ली डण्डा के खेलईया सिरागे…2
ओ जमाना निकलगे रे…
ये जमाना बिगड़गे रे भाई
ये जमाना बिगड़गे रे

गाड़ी फंदईया अऊ दऊंरी खेदईया,
कहाँ नंदागे ओ सियान
मोटर गाड़ी के जमाना हा आगे,
कोन करे अब खियाल
:-बईला नांगर के फंदईया नंदागे…2
ओ जमाना निकलगे रे…
ये जमाना बिगड़गे रे भाई
ये जमाना बिगड़गे रे

अंगाकर रंधईया अऊ चिला सेंंकईया,
ओ मनखे लुकागे जी
ठेठरी खुरमी अऊ सुहांरी खवईया,
ओ जमाना गवांगे जी
:-छत्तीगढ़ीया बियंजन नंदागे…2
ओ जमाना निकलगे जी…
ये जमाना बिगड़गे रे भाई
ये जमाना बिगड़गे रे

लोरी गवईया अऊ किस्सा सुनईया,
डोकरी दाई नंदागे जी
भौरा बांटी अऊ घर गुंदीया खेलईया,
मोर संगवारी गंवागे जी
:-गुल्ली डण्डा के खेलईया सिरागे…2
ओ जमाना निकलगे जी…
ये जमाना बिगड़गे रे भाई
ये जमाना बिगड़गे रे

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम(घटारानी)
जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)
मों.9009047156