झन बिसावव सम्मान

अभी के बेरा म कला अउ कलाकार के कमी नई हे। किसिम किसिम के कलाकार ह अपन कला ल देखाथे। हमर बीच म कतको अकन अइसन कलाकार रिहिस जेन मन अपन कला के बल म सरी दुनिया ल दांत तरी अंगरी चाबे बर मजबूर कर दिन। फेर उन कलाकर मन मान अउ सम्मान के थोरको आस अपन मन म नई राखिस। पहिली के कला ह कलाकार मन बर एक साधना रहय। इही साधना ल पूरा करत करत कतको बछर ह बीत जावय। अउ अब्बड़ सुग्घर कला ह उपजय। कलाकर मन जेन भी विधा ले जुड़े रहय ओ विधा म अब्बड़ नाव कमावय। अब के जमाना म किसिम किसिम के कलाकार आगे हवय फेर उखर कला म बने साख नजर नई आवय।



ये बात घलो सही हवय की लोहा ल जतका मांजबे ओतके उज्जर होथे। फेर अभी के लोहा ह ओतका करिया नईहे जतका पहिली के रहय। इही लोहा कस तो नवा कलाकार मन हवय। अभी के कलाकार मन चमकेच नईहे अउ अपन आप ल अपन विधा म सर्वज्ञानी समझ जाथे। अउ थोर बहुत जेन भी कलाकर ल कलाकारी करे बर आथे वो कलाकार मन बर आलोचक घलो नई मिल पावत हे। जेकर से पता चल सकय की ओ अपन कला के कतक गहिरा पानी म हे। अपन कला ल देखाये से जादा सम्मान पाये के लालसा मन रइथे।

नान बुच कोन्हों कविता लिख लिस त कोन्हों नाचा गम्मत म जोकर बन जाथे त अउ आनी बानी के कला म अपन पाव राखे त ओमन फूले नई समाये। मन म कोन्हों भी सम्मान ल् पाये के लालसा ह बढ़ाहत रइथे। अउ अभी के माहुल ह घलो अइसने चलत हे की कोन्हों भी सम्मान देवइया संगठन या समिति मन नवा कलाकर मन ल भुलवार के सम्मान के महत्ता ल् बढ़हा चढ़हा के बता देथे जेखर सेती अभी के कलाकर मन घलो उही सम्मान म झाप जाथे। कलाकर मन थोर बहुत पइसा दे देथे तहान वहू मन ल सम्मान दे देथे। अउ सब कलाकार मन घलो इही बात ल बढ़ावा दे बर आघु रइथे। आजकल जतका भी सम्मान हो सबो सम्मान ह पइसा म बेचावत हे। हमर देश के सर्वोच्च सम्मान मन के हालत घलो अइसने हे। जेन ल सम्मान मिलना चाही वोला नई मिल पावत हे। ईहा पद अउ पइसा के आघु म काखरो नई चलय।



नवा कलाकार मन के हिरदे म थोरको धीरज नईहे। हिरदे म धीरज के कमी नवा कलाकर मन म साफ नजर आथे। काबर की श्री रामचरित मानस ल लिखाये हे कि “कर्म प्रधान विश्व रचि राखा”। इहा करम के प्रधानता हे अउ करम करे म के मीठ फर ह मिलथे। अउ गीता म घलो ये बात के परमाण हे कि करम ल बने ढंग ले सिरजाव जेकर ले मीठ फल ह मिलय। निरन्तर करम करव फर के आस मत रखव। काबर की हम करम करे हन त फर मिलना निश्चित हे। नानकुन कला ल सिरजा डारथे तहान तुरते फल के आस ह रइथे। कहावत घलो हे नवा बइला के नवा सिंग चल रे बइला टिंगे टिंग। अइसन पइसा म बिसाय सम्मान ह तो हमर ऊपरी कला ल देखाथे।असली कला तो जागर तोर मेहनत म आघु आथे। अउ ये पइसा म बिसाये सम्मान ह हमर बर अच्छा परिणाम नोहय। सबले बड़का अउ सुग्घर सम्मान जनमानस के परेम आय। जनमानस के बीच म अपन कला ल देखाये के बाद म जतका मया अउ दुलार मिल जाये ओ कलाकार बर सबले बडका सम्मान आय। हमर कला हमर कलाकारी बढ़िया रही त सम्मान मिलना घलो सिरतोन हे। हम जतका हमर कला ल मांजबो ओतके हमर कला म धार आही अउ सम्मान मिलही।

दीपक कुमार साहू
मोहदी मगरलोड
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