पण्डवानी के नाम सुनते साठ हमर आँखी के आघू म पाँचो पाण्डव के कथा चलचित्र सरिक चले लागथे । पण्डवानी मा अब तक आप पाण्डव/महाभारत के ही कथा सुने होहू फेर अब पण्डवानी शैली म कबीर के जीवन दर्शन भी गाये जावत हे अउ श्रोता मन ओतके आनन्दित होके सुनत भी हवय। पण्डवानी शैली म लोकप्रिय कबीर भजन गायिका बहन त्रिवेणी साहू सँग भेंट होइस। गोठ-बात के अंश :-
आप पण्डवानी शैली म कबीर भजन गायन कब ले करत हव ?
– मोर माताजी स्व.फूलबाई साहू (पण्डवानी शैली के प्रथम कबीर भजन गायिका) 2004 म सतलोकवासी होय के बाद 14-15 साल के उमर ले मैं गायन करत हँव। ये कला मोला विरासत म मिलिस, मोर दीदी संगीत के क्षेत्र म बहुत नाम हे। ये तरह से मोर पूरा पारिवारिक माहौल गायन के रहे हवय।
आप पण्डवानी के कौन से शैली मा प्रस्तुति देथव ?
– मोर प्रस्तुति कापालिक शैली म रहिथे।
पण्डवानी म पाण्डव मन के कथा होथे फेरआप ये शैली म कबीर के जीवन दर्शन ऊपर गायन करथव। कोन-कोन से पहलू ल बताथव ?
– कबीर प्राकट्य, सृष्टि विस्तार दर्शन, रानी इन्द्रमति भक्ति, स्वपच सुदर्शन गुरुभक्ति, धनी धर्मदास लोक आगमन, अनुराग सागर आधारित कबीर जीवन चरित्र।
अभी तक आप कहाँ कहाँ प्रस्तुति दे हावव ?
– छत्तीसगढ़ के लगभग सबो जगह म, सूरत (गुजरात), नुवापाड़ा (उड़ीसा),काटोल (महाराष्ट्र), समस्तीपुर (बिहार), भागलपुर, पूर्णिया, टाटा नगर (झारखंड), इलाहाबाद कुंभ,बनारस(उ.प्र.), बांधवगढ़, सिवनी, उज्जैन (म.प्र.) आदि जघा मा अपन प्रस्तुति कईं बार दे चुके हवव।
आपके पण्डवानी दल के का नाम हवय ?
– आदर्श पण्डवानी ग्रंथ गायन, ग्राम-पिरदा, पो-भिभौरी, जिला-बेमेतरा।
वर्तमान म आपके निवास कहाँ हवय?
– शक्तिपारा,वार्ड क्रमांक-16,उरकुरा रायपुर।
आपके पंडवानी गायन दल मा कतका सदस्य हवय ?
– कुल 6 सदस्य जेमा- हारमोनियम विनय साहू (भाई),तबला-गेलन दास मानिकपुरी, रागी-कुँवरसिंह देवदास, बेंजों-भुलूराम देवदास, डफली-हरीशचंद्र साहू, गायिका-मैं स्वयं त्रिवेणी बाई साहू।
पण्डवानी गायन के दौरान आप का-का संदेश देथव ?
– नशा मुक्ति,बेटी बचाव, बालिका शिक्षा, नवा पीढ़ी ल संस्कारित करना, जाति पाति, छुआछूत, भेदभाव मिटाना, कौमी एकता के सन्देश देथन। सँगे संग देशप्रेम के भावना ल जागृत करे के प्रयास भी करथन।
आपके आजीविका के साधन का हे ?
– भजन गायन ही एकमात्र साधन हवय जेकर ले हम छहों झिन के आजीविका चलत हवय।
आप गृहिणी आव, येकर ले काफी समस्या आवत होही ?
– नही,मोर घर परिवार के पूरा सहयोग मोला मिलथे, मोर पति स्वयं मोर साथ रहिथे अउ सँग देथे।
आप एक तरह से लोककला के उत्थान के भी काम करत हव,सरकार से आप ल कोई मदद मिलथे ?
– सरकार से हमन ला कोनो प्रकार के सहायता अब तक नइ मिले हे। दूसर प्रदेश म होवइया बड़े बड़े महोत्सव म संस्कृति विभाग ह लोक कलाकार मन ल भेजथे लेकिन अब तक संस्कृति विभाग ले हमन ल अइसन कोनो ऑफर नइ आय हे।
प्रस्तुतिकरण के बाद श्रोता मन के का प्रतिक्रिया रहिथे?
अगाध स्नेह अउ भरपूर आशीर्वाद मिलथे।
अजय “अमृतांशु”
भाटापारा
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बहुत सुग्घर साक्षात्कार।