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कहानी

करिया अंगरेज

बस ले उतरिस । अपन सिकल के पसीना ला पोंछिस । ऐती ओती जम्मो कोती ला देखे लागिस। जुड़ सांस लेके कुछु गुणत गुणत आगू कोती बाढ़गे अऊ होटल मा खुसरगे ।
’’पानी देतो भइयां ! अब्बड़ पियास लागत हावय’’ हलु हलु किहिस ।
ओखर गोठ ला सुनके होटल वाला ऊचपुर करिया जवनहा हा अगिया बेताल होगे । ओला गोड़ ले मुड़ी तक देखिस । दांत ला किटकिटावत किहिस
“ इंहा फोकट मा पानी नई मिले डोकरा….। कुछु खाय ला पड़थे बरा , भजिया,समोसा ।‘‘
होटल मा बइठे जम्मो मइनखे के आंखी हा सियान के कमान कस काया मा थिरागे जइसे गिधवा के आंखी हा मरी मा जाम जाथे । चुनुन चानन बरा भजिया चुरे लागिस । फटफटी के टीटीट , सारबिस के पो..पो अऊ मइनखे के चिल्लई …जम्मो के आरो मा दबगे सियान के बोली हा ।
“ ददा खपुर्री रोटी लाने हव । पानी देतेव ते खा लेतेव ” कोनो नई सुनिस ।
‘‘का गोठियाथस डोकरा …? चल फुट इंहा ले। जवनहा चेचकार दिस ओला। होटल के बइठइया मन बोटोर बोटोर देखे लागिस । अऊ… कठल – कठल के हासे लागिस ।
झुर्री वाला करिया सिकल बियाकुल दिखत रिहिस । अइला गिस । सामरथ करके अपन गोड़ ला उसालिस । थरथरावत गोड़ ला मड़हाइस अऊ होटल ले बाहिर आगे।
’’बाबू एक ठन बाटल के पानी ला देतो । मोर टोटा सुखावत हावय।‘‘
सियान के गोठ ला सुनके पानी वाला ठाढ़े होगे।
“ बीस रूपिया लागही डोकरा ” जवनहा किहिस अऊ पइसा मांगे लागिस । पंछा के अछरा ला , सलूखा के खिसा ला तब झोला ला टमरे लागिस सियान हा ।
“ चुरवा भर पानी के बीस रूपिया लेथो । पानी असन पबित्तर जिनिस ला बेचथो ” सियान संसो करत किहिस ।
“ पानी ला बेचहू नही ….तब फोकट मा थोड़े दुहु डोकरा ? जादा पियास लागत हावय ते जाके बोरिंग ला ओट अऊ पी ले’’ जवनहा किहिस अऊ चेथी खजवावत अलकरहा गारी बखानिस । सियान के रिस तरवा मा चढ़गे। लहु के संचार थिरागे अऊ टूरा ला बोटोर बोटोर देखे लागिस । टूरा तो सिसरी मारत साइकिल के पैडिल मसकत भागगे ।
पहिली हलु हलु ताहन सामरथ भर बोरिंग के हेन्डिल ला टेड़े लागिस । खटरंग ….खटरंग के आरो बाजिस फेर पानी के एक बॅूंद नई गिरिस। सियान उर्त्ता धुर्रा ओटे लागिस । डग-डग , खट-खट के आरो आइस फेर चार बॅूंद मतलाहा पानी निकलिस । ऐखर ले जादा तो सियान के काया ले पानी निकलगे । बदन भिजगे मुहु चपियागे , अऊ टोटा सुखागे ।
अब काया मा थोड़को बल नई रिहिस । सामरथ करके झोला ला घिल्लावत बंबूर रूख के छइयां मा लेगिस वइसना अपन जांगर ला घला घिल्लावत लेगिस। जझरंग ले बइठगे । बइठगे… सुतगे ।
“ ये दे डोकरा पी ले पानी ” जवनहा बाटल ला फेक के दिस अब। सियान टप ले झोकिस अऊ ढक्कन हेर के पीये लागिस ..जवनहा हासत रिहिस …सिरतोन बिकराल हांसी रिहिस। सिरिफ एक घूट पानी । ओतकी तो रिहिस बाटल मा । ले दे के पानी पीयिस अऊ पटियागे । अगास ला देखत देखत सुरता मा बुड़े लागिस।
नानपन के दिन । सालिक के दाई ददा हा धमतरी के इही माडमसिल्ली गांव मा कमाये खाये बर आये हावय।
सालिक के ममा गांव घला आय माडमसिल्ली गांव हा। गांव के मन छुआ माने सालिक अऊ ओखर परवार ला फेर अंगरेज इंजिनियर हा ओखर दाई ला रांधे गढे़े बर राखे रिहिस । छत्तीसगढ़ी कलेवा तो बनाये फेर अंगरेजी कलेवा घला बनाये बर सीखे लागिस ओखर दाई हा । कांदा कोचई सलगा बरा बफोरी इड़हर अऊ जिमी कांदा के साग अब्बड़ चाट चाटके खावय अंगरेज हा अऊ मुचकावत काहय
’’वाव वेरी टेस्टी डिस। बेरी गुड इट्स रियली वेरी गुड । व्हाट अ काम्बीनेसन ऑफ पल्स फ्लोर एंड कर्ड काम्बीनेसन । वेरी टेस्टी सलगा बरा डिस । ठुम्हारा दाई बहुत सुन्दर सलगा बरा पकाटा है । ”
अब्बड़ मुसुकुल ले काहय अंगरेज हा अऊ बांध के नाप जोख मा लग जावय । सालिक घला पाछू पाछू जावय छाती फुलोवत ।
दिनभर बांध मा बुता करवाय इंजीनियर हा अऊ रातकुन गांव वाला ला पढ़ावय । सालिक तो गदहा रिहिस फेर जौन पढ़हिस तौन हा आज इंजीनियर , हावय देस बिदेस मा । अब्बड़ दिन ले बुता चलिस अऊ एक दिन बांध सपुरन बनगे। इही मॉडमसिल्ली बाँध हा। सिलयारी नदी मा बंधाये मॉडम सिल्ली बांध।
“ ये डैम ठुमहारे बनजर जामीन को सवर्ग बना देगा । भुख से नही मड़ेगा यहां के लोग । ये डैम सालो साल तक ऐसी रहेगी , खराब नाई होगा ” अगरेजी मा अब्बड़ अकन किहिस फेर सालिक अऊ गांव वाला मन अतकी ला समझिस ।
सिरतोन माडमसिल्ली बांध एशिया के पहिली बांध आए जौन हा सायफन सिस्टम मा बने हावय । केचमेन्ट एरिया ले पानी आथे अऊ कैपेसिटी एरिया मा पानी थिराथे पानी पुरा भराथे ताहन ओखर गेट हा अपने आप उघर जाथे , आटोमेटिक । विज्ञान के भाखा मा ला ऑफ ग्रैविटी अऊ ला ऑफ प्रेशर के सिद्धांत आवय । एखरे सेती बाढ़ के कोनो खतरा नई राहय।
अंगरेज अपन देस राज लहुटगे अऊ सालिक अपन परवार संग अपन गांव ।
चिरई चिऊ चिऊ करिस अऊ सालिक के धियान ओती गिस । छिन भर मा जम्मो ला सुरता कर डारिस सालिक हा। अपन ननपन के गोठ जिहां अंगरेज के सुघ्घर बेवहार अऊ आजी-आजा के मया ला सुरता करके मुचकाये लागिस। कलथी होइस अऊ कुहके लागिस। आंखी जोगनी कस बरिस फेर बुतागे अऊ कुलुप अंधियारी छागे। चमकत सिकल अइलागे उदासी मा। सुन्ना अगास कोती ला देखिस। ओखर आंखी सुन्ना रिहिस अऊ सिकल मा पीरा दिखत रिहिस। कुछु काही ला गुने के उदीम करिस अऊ फेर सुरता मा बुड़गे….।
सालिक अब अपन गांव मोहारा लहुटगे रिहिस।
गैरअपासी गांव जिहा चौमासा भर मा किसानी होथे । बच्छर के बाकी बखत तो सुरूज देवता अंगरा कुढ़होथे। सालिक अपन गांव मा बनी भूति करे अऊ जिनगी ला सिरजाये लागे। इही गांव के उत्ती मा बांध बनाइस सरकार हा। गांव के सुक्खापन के अंधियारी भागे अइसे फेर इही बांध हा जिनगी भर बर घात दे दिस ।
अब्बड़ बड़का बड़का भासन देये रिहिस नेतामन । करोड़ो रूपिया के बांध आए। अब तुहर गांव मा उछाह रही । अन धन बाड़ही । कभू अंकाल नइ परे। सुक्खा नई होवय अतराब हा । सिंचाई ले हरियर हरियर फसल लहराही फेर …. सब अबिरथा।
एसो गरमी मा बने बांध बरसात मा टूटगे । जम्मो कोती रोहो पोहो होगे । कतको मइनखे मरगे , पटागे अऊ कतको झन हा लुलवा खोरवा होगे । जिनावर मन अकबकावत बोहागे । चारो कोती हाहाकार होगे अऊ खेत मा पनिया अंकाल परगे । सालिक घला नई बाचतिस । ओहा आने गांव गे रिहिस तब बाचिस दुरिहा गांव । अपन बहु बेटा अऊ नाती ला गवां डारिस । लील डारिस जम्मो कोई ला , अभीन के इंजीनियर के बनाये सुरसा कस बांध हा । पेपर मा छपाये रिहिस अऊ टी वी मा देखाइस घला । मोहारा गांव ,मोहरा बाँध ला। सुरता होही।
नेता मन आके भासन दिस अऊ अधिकारी मन मुआवजा बर फारम भरिस।
हे दाई ददा ! हे राम ! बबूर के कांटा कच्च ले गडि़स । जी तरमरागे। कांटा ला हेरिस परान छुटे कस पीरा होइस।
सालिक अगास ला देख के तिरलोकीनाथ ला सुमरन करिस अऊ आंखी के कोर के आंसू ला पोछिस । चौमासा के ये घाव आए गरमी के दिन आगे फेर मोआवजा नई मिलिस । जौन मइनखे मोआवजा लिखवाये बर पइसा दिस तेखर मोआवजा मिलिस । फेर सालिक तो नई देये रिहिस पइसा। कइसे मिलही मोआवजा ? कोन जन कब मिलही ते …? चार बेरा होगे आवत जिला के आफिस मा। राशन कारड मंगाइस । रिन पुस्तिका , आधार कारड जम्मो जमा कर डारिस।
’’जौन पइसा आये रिहिस तौन सिरागे आने दारी आबे’’ अइसना किहिस अधिकारी हा। दुसरइया दारी मिटिंग मा रिहिस साहब हा। तीसरइयां दारी साहेब छुट्टी मा रिहिस। चौथइया दारी काग-जात कमती होगे । अऊ अब जम्मो काग जात जमा होगे, तब बड़का खुरसी मा बइठे बड़का अधिकारी तिड़बिड़ – तिड़बिड़ अंगरेजी मा बखानथे । दुतकारथे जम्मो अधिकारी मन ।
सालिक जम्मो ला गुणे लागिस ओखर आंखी के पुतरी फरिहाये लागिस । पिवरी ललहू आंखी सुन्न होये लागिस। मुच ले मुचकाये तब कभु सुन्न हो जावय। अब तो कलथी घला नई मार सकिस। एकोकन सामरथ नई फबिस फेर मन हा दउड़े लागिस ।
करिया अंगरेज के ये सुभाव अब्बड़ डरभुतहा लागिस । बांध बनइया ये करिया अंगरेज हा तो सालिक ला, गांव वाला ला दुख मा चिभोर डारिस । काबर अइसना करथो ….? सौ बच्छर ले जादा होगे मोर ममा गांव माडमसिल्ली बांध हा । कुछू नई होये हे ओहा अऊ गरमी मा तुहर बनाये बांध हा भसकगे। नाती बहु बेटा जम्मो सिरागे । आंखी पथरा होगे। आंसू ढ़रके लागिस । हिचकी मारिस । अगास ला मुहु फार के देखिस अऊ सब सुन्न होगे …. निचट सुन्न।
झोला के खपुर्री रोटी घला डूलगे।
सुरूज नारायेन अब सालिक के काया मा अगिन बरसाये लागिस ।

भीड़ जुरियागे । खुदुर – फुसुर करे लागिस। का होगे ….का होगे ? लू लगगे । लू मा मरगे डोकरा हा । मोआवजा बनवावव, फारम भरवावव। ऐखर नत्ता गोत्ता ला खोजव चिन पहिचान करव । आनी बानी के आरो आइस । अंगरेज के बरबरता के सुरता आगे । जलिया वाला बाग हत्याकांड के सुरता आगे ओला। जम्मो जुरियाये मइनखे जनरल डायर कस लागत रिहिस। अंगरेज कस लागत रिहिस …… करिया अंगरेज कस।

चन्द्रहास साहू
द्वारा श्री राजेस चौरसिया
आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी
जिला- धमतरी, छत्तीसगढ़
मो. 8120578897