संगवारी हो, हमर हरियर पतित पावन भुइया छतीसगढ़ हवय।महतारी के मयारू कोरा म हमर कला अउ संसकिरीति के पालन पोषण होवत हवय। धान के कटोरा हमर छत्तीसगढ़ के कला अउ संसकिरीति के दुरिहा दुरिहा म पहिचान हवय। कहे जाथे की हमर छतीसगढ़ के संसकिरीति ह पूरा भारत देश म सबले जादा धनवान संस्कृति हवय। हरियर भुइया हमर छतीसगढ़ के जतका मीठ संसकिरीति हवय ओतके मीठ हमर गुरुतर भाखा छतीसगढ़ी हवय। करमा ददरिया सुवा पंथी कोन जनि कब ले आगास म गुजत् हे उही ला हमर पुरोधा कलाकार मन सहेज के राखे हे। नाचा गम्मत म हबीब तनवीर ह अपन कला के बल म पूरा दुनिया के कलाकार मन ल दाँत म अंगरी चाबे बर मजबूर कर दिन। फेर आजकाल हमर छतीसगढ़ी कला अउ गीत संगीत म बहुत ज्यादा अश्लीलता ह समागे हवय। परदेसिया राग धुन ह हमर गीत संगीत म हमागे हवय। आजकल हमर फिल्म अउ गाना म रैप गाना आगे हवय। हमर छतीसगढ़ म परदेसिया मन के राज तक हाबेच अउ उही परदेसिया मन हमर संसकिरीति अउ संस्कार ह दूसर राज के संसकिरीति संग जोड़त हे। सिरतोन म कहिबे ता फिलिम सिनेमा के मतलब होथे की जीवन अउ परिवेश के घटना ह संजो के राखे रइथे तेन ला सिनेमा अउ फिलिम कहे जाथे। कहे के मतलब है की संस्कृति अउ कला के संरक्षण करे के खातिर फिलिम ल् बनाये जाथे। आज तो फाइसन अउ चटक मटक के जमाना हे अउ पूरा पूरा बिदेसिया संस्कृति ह हमर छतीसगढ़ म आगे हवय।
रामेश्वर बैसनव जी लिखीन
गाना के मुखड़ा म चिखला सने हे
गुंडा अउ बदमाश हीरो बने हे
तन म हीरोइन के ओन्हा न चेन्दरा
लागथे नाचईया मन सरकस के बेंदरा
कर्मा ददरिया सुवा के गीत ल् आज कोन्हों नई जाने अउ जानथे ता केवल उही बालीबुड के गाना मन ल। अउ हमर गाना ह घलो छतीसगढ़ी सब्दकोस के साधन आय। हमर छतीसगढ़ के गीत संगीत म अब्बड़ मिठास हवय। ईहा तो गीत अउ संगीत ह दाई के लोरी से लेके कोनो मेल मुलाकात तक समय हे। हमर छतीसगढ़ी परिधान ह घलो नंदागे। अब फ़िल्म के कलाकार मन हमर संसकिरीति के लुगरा पंछा ल नई पहिरे। सिरतोन म हमर गांव के दाईं अउ बहिनी मन लुगरा पहिरे मुड़ ल ढाकथे त सुग्घर देवी बरोबर लागथे। अउ ये सब परदेसिया मन के सेती होवत हे। हमर छतीसगढ़ ह घलो अब्बड़ अकन कलाकार हवय। हमर राज के कलाकार ह हमर संसकिरीति ल् बने ढंग ल् जानही।फिलिम म तो दूसर राज के कलाकार मन अपन कलाकारी करत हे। त् दूसर के संसकिरीति के खिलवाड़ करे बर आघु ये जोजवा मन आघु रइथे। हमरेच राज म हमी मन ला उपेक्षा मिलथे ता पीरा ह अउ बाढ़ जाथे। ता हमू मन जुरमिल के ये दूसर संसकिरीति ल् लड़े बर आघू आवन। जेखर ले हमर संसकिरीति ह धनवान बने रहय अउ हमरो कर्तव्य हरय की हमर कला के संरक्षण बर आघु आवन।
दीपक साहू “आभा”
मोहदी मगरलोड
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