- मुसुवा के मूँड़ पीरा
- अमित के कुण्डलिया ~ 26 जनवरी
- सेहत के खजाना - शीतकाल
- सोच समझ के देहू वोट
- देवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी
- तोरे अगोरा हे लछमी दाई
- सिंगारपुर के माँवली दाई
- डेंगू के कारण कोन
- मुसुवा के पीरा
- दोहा गजल (पर्यावरण)
- गीत: सुरता के सावन
- सोनहा सावन सम्मारी
- शिवशंकर के सावन सम्मार
- असाढ़ ले आसरा हे....
- 24 मई -जेठ दसमी : वीर आल्हा जयंती, आल्हा चालीसा (आल्हा छंद में)
- एकमई राखव परवार ला
- 13 मई विश्व मातृ दिवस : महतारी महिमा (सरसी छंद)
- 13 मई विश्व मातृ दिवस : दाई के दुलार (दोहा गीत)
- छंद के छ : एक पाठशाला, एक आंदोलन
- मई दिवस म बनिहार मन ल समर्पित दोहागीत
- गहना गुरिया : चौपाई छंद
- धरती मँइयाँ : चौपाई छन्द
- विश्व जल संरक्षण दिवस : सार छंद मा गीत - पानी जग जिनगानी
- हिन्दू नवा बच्छर के बधाई..
- नवरात मा दस दोहा
- छत्तीसगढ़ी गीत-ग़ज़ल-छंद-कविता
- नारी के महिमा भारी हे
- आल्हा छंद : वीर शिवाजी के शान
- दामाखेड़ा धरम धाम के मेला
- कोड़ो-बोड़ो- नवा बच्छर मा नवा उतसव*
- मुक्का उपास
- हे गुरु घासीदास - दोहालरी
- लोक परब छेरछेरा : समाजिक समरसता के तिहार
- मुक्का उपास
- तिल सकरायत
- अभार अभिनंदन अटल जी के (25 दिसंबर अटल बिहारी वाजपेयी के जनमदिन)
- जड़काला मा रखव धियान
- गुरू बबा के गियान ला गुनव
- पूस के रात : प्रेमचंद के कहानी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद
- देवता मन के देवारी : कारतिक पुन्नी 04 नवंबर
- छोटे देवारी के खुशी भारी : देवउठनी एकादशी 31 अक्टूबर
- दीया अउ जिनगी
- सुरहुत्ती तिहार
- तोरे अगोरा हे लछमी दाई
- कारतिक महीना के महिमा
- सरद पुन्नी के सार कथा
- तन के साधु, मन के शैतान
- असल रावन कोन
- हमर माँवली दाई के धाम
- सिरिफ नौ दिन के बगुला भगत
- सरद्धा अउ सराद्ध
- पितर पाख के असल मान राख : जीयत मा डंडा-मरे मा गंगा
- सिक्छक सिखही तभे सिखाही
- माटी के गनेस बइठारव-पर्यावरण के मान बढ़ावव
- हमर हरेली तिहार
- सोनहा सावन सम्मारी
- शिवशंकर के सावन सम्मार
- प्रकृति के पयलगी पखार लन
- असाढ़ के आसरा हे
- नमस्कार के चमत्कार
- महतारी दिवस 14 मई अमर रहे : महतारी तोर महिमा महान हे
- महतारी दिवस विशेष : महतारी महिमा
- गरमीं के छुट्टी मा ममा गाँव
- अकती तिहार : समाजिकता के सार
- होरी हे रिंगी चिंगी : रंग मया के डारव संगी
- सन्त रविदास जयन्ती माघी पूर्णिमा 10 फरवरी
- महतारी भाखा के मान करव
- छेरछेरा : समाजिक समरसता के तिहार
- नवा बछर म देखावा झन करव तुमन
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- कन्हैया साहू अमित