कपिलनाथ कश्यप

तीन-तीन महाकाव्‍य अउ कई ठन खंड काव्‍य एकांकी निबंध कहानी के रचना करइया कवि कपिल नाथ कस्‍यप के जनम पौना गांव जिला जांजगीर चांपा म 6 मार्च 1906 म अउ देहान्‍त 2 मार्च 1985 म बिलासपुर म होय रहिस। बनारस जइसे जगा ले उन बी.ए. पास करे रहिन उहां उनला हिन्‍दी के धुरन्‍धर कवि लेखक विद्वान ले मिलेजुले के मौका मिले रहिस। उन रेवन्‍यू विभाग म नौकरी करके भानु कवि जइसे काव्‍य के अब्‍बड़ भारी साधन करीन। डॉ. विनय कुमार पाठक उनला महाकवि के रूप म चित्रि‍त करे हे। उंकर सब्‍द मा उंकर जीवनकाल के अनुभो संघर्ष के गाथा अउ कर्मठता हर साहित्‍य म व्‍यापक रूप ले चित्रि‍त होय है उंकर सरल सीधा आचरन निच्‍छल निसकपट वेवहार किसान कस बहिर भीतर ले एक समाना ल चरितार्थ करथे। रामकथा कृष्‍ण कथा अब तो जागो रे डहर के फूल अंध‍ियारी रात गजरा नवा बिहान गुरावट उंकर परमुख परकासित ग्रंथ आय। पद्मश्री मुकुटधर पांडेय के सब्‍द में ”रामकथा पद म रामभक्‍ति के परिचय मिलथे। भासा प्रवाह युक्‍त सजीव अउ मुहावरेदार हे। छत्‍तीसगढी़ के सिंगार रूप ये ग्रंथ के मैं सादर अभिनन्‍दन करत हवँ। ”

जीवनी स्व. कपिलनाथ कश्यप

म हाकवि कपिलनाथ कश्यप हमर देस के आजाद होय के पहली, बरिस 6 मार्च 1906 म जनम लेइन अउ बरिस 1985, 2 मार्च के देहावसान होइस, बीसवीं सदी के उन एक साधारण अपरचित साहित्यकार रहिन उन समाचार पत्र पत्रिका म अपन नाम छपय एकर ले परहेज करत रहिन जबकि उन राष्ट्रीय कवि मैथिलीसरन गुप्त जी के समकालिन कवि रहिन।
छत्तीसगढ़ी भासा ल एक मानकरूप म लाये म उन 3 ठन महाकाव्य श्री रामकथा, श्री कृस्नकथा, महाभारत अउ श्रीमद् भागवत छत्तीसगढ़ी भावानुवाद के रचना कर अपन प्रतिभा ला बताईन-छत्तीसगढ़ के महाकवि कहाइन उन कथाकार, नाटककार, निबंधकार रहिन। िहन्दी साहित्य म भी उनकर योगदान हावय पद्य अउ गद्य दूनो म लिखत रहिन हिन्दी म नौ खण्काव्य नाटक के रचना करके पाण्डुलिपी के अम्बार लगा देहे हे, प्रचार-प्रसार ले दूरिहा रहिन स्वान्त: सुखाय लिखत रहिन। उन अपन कृतित्व ल जन मानस के बीच जनवाय के कोसीस नहीं करत रहिन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, डॉ. धीरेन्द्र वर्मा, डॉ. राजकुमार वर्मा के सिस्य रहिन। प्रयाग विस्वविद्यालय के इर्विन कॉलेज म पढ़त रहिन अपन गुरुदेव के सम्पर्क म रहिके हिन्दी साहित्य बिसय लेके बिसेस लगाव के साथ साथ लेखन के प्रति रूची होइस अउ इलाहाबाद म साहित्यिक गोस्ठी म आय जाय लगिन बरिस 1931 म स्नातक के डिग्री लेहे के बाद अपन गांव पौना तहसील जिला जांजगीर-चांपा आ अइन अउ गांव म आके बाग बगईचा अउ पेड़ पौधा लगाय के विसेस ध्यान देहे लगिन। साथ साथ साहित्य लेखन म लगे रहिन 1932 म अकलतरा म अंग्रेजी स्कूल चलाय के जिम्मेदारी मिलिस अउ सिक्षकीय कार्य सुरू करिन कुछ राजनैतिक उठा पठक के कारन के जिम्मेदारी मिलिस अउ सिक्षकीय कार्य सुरू कुछ राजनैतिक उठा पठक के कारन अकलतरा के सिक्षकीय काम ल छोड़ के रायपुर आ गइन इहां स्व. डॉ. खूबचंद्र बघेल रायपुर के स्वतंत्रता सेनानी, साहित्यकार मालवी प्रसाद श्रीवास्तव अउ उनकर संगवारी साहित्यकार मन के संपर्क म आइन वोही समय चाम्पा लछनपुर के डोरीलाल केंवट राजस्व विभाग म सरकारी नौकरी करे बर बाध्य करिन। राजस्व विभाग के पद म रहते हुये अधीक्षक भू-अिभलेख के पद ले बरिस 1961 म दुर्ग ले रिटायर होइन अउ नावा सरकंडा म स्थायी रूप से निवास बर घर बना के बस गईन। रिटायर होय के बाद अपन समय ल साहितत्य लेखन म बिताईन छत्तीसगढ़ी हिन्दी म बहुतकन खण्काब्य अउ छत्तीसगढ़ी म महाकाब्य खण्ड काब्य, कहानी एकांकी, नाटक, निबंध के रचना कर डारिन, इनला हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी दूनो भासा म समान रूप ले ग्यान रहिस छत्तीसगढ़ी भासा के ग्ररंथ रचना के संख्या पच्चीस ठन अउ हिन्दी साहित्य के चौदह ठन के पाण्डुलिपि ल स्वयं मससियानी लेखनी म लिख के धरे रहिन जउन हर भंडारन के रूप म धरोहर रखाय हावय। कविवर कपिलनाथ जी के लिखे श्री राम कथा ल मध्यप्रदेस साहित्य परिसद ले बरिस 1975 म लोक साहित्य के ईसुरी पुरस्कार देहे गये हे, उनकर अभिनंदन भोपाल के रविन्द्र सभा भवन म सम्मानित मुख्यमंत्री के हाथ ले करे गये हे, छत्तीसगढ़ी भासा के पहली महाकाब्य आय। कविवर कपिलनाथ जी प्रतिभासाली एकांत साधक साहित्यकार रहिन उनकर साहित्य रचना के मूल्यांकन होना जरूरी हे, डॉ. विनय कुमार पाठक जी के पोस्ट डाक्टरेट रिसर्च वर्क के द्वारा कविवर कस्यपजी के सब्बो रचना गरंथ मन ल जन मानस सामने लाइन ये दृस्टी ले छत्तीसगढ़ी के पहिली महाकवि निबंधकार नाटककार, कहानीकार माने बर परही कविवर कपिलनाथ जी के छत्तीसगढ़ी साहित्य ल एक मानक अउ पोठ साहित्य भंडार म लाय बर उनकर काेसीस ल भुलाय नही जा सकय।

गणेश प्रसाद कश्यप सरकंडा, बिलासपुर

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