किसान के पीरा

आज के दिन बादर ह मोला समझ म नइ आवय। एक डाहर राज्य सरकार मन ह किसान मन के करजा ल माफ करेबर परियास करथे, उहचे दूसर डाहर केन्द्र म बइठे नेता मन ह उही करजा के हाँसी उड़ाथे कि एहा आज काली फेशन बनगे हवै। इहाँ किसान मन ह करजा के मारे लदाके अपन जान घलो दे देवथे अऊ मंत्री मन वहू मा कमेंट मारे बर नइ छोड़त हवै।

आज बिहिनिया कुन मेहा पेपर ल पलटत रेहेव त पढ़ेव कि आज एक झन अऊ किसान भाई ह करजा के मारे फाँसी म लटकगे। ए समाचार ल देखके मोला अब्बड़ दुख लागिस। उहिच पेपर म पाछू डाहर पढ़ेव कि केन्द्र के मंत्री ह करजा माफ करवईया राज्य मन ल, उहाँ के शासन के दल मन के ए काम ल फेशन कहाथे।

उही जम्मो देस के बड़का-बड़का नेता मन ल बताना चाहथो कि उही किसान मन के बोए धान-चाउर, गहूँ, चना, जोंधरा, फल-फूल ल खाके जम्मो मनखे मन ह जियत हवै। अऊ उखरे मन के तुमन ह हाँसी उड़ाथो। उही मन ल अपन जान गँवाये बर, फाँसी म लटके बर मजबूर करत हवौ।

इही किसान मन के खून-पसीना ले जम्मो दुनिया चलत हवै। इही मन ह दुनिया के भगवान् कहिलाथे फेर आज के जम्मो समाज म किसान मन ह राजा ले रंक बनगे हवै। जम्मो दुनिया के मनखे मन के पेट-पलईया किसान मन ह आज भूख-पियास म मरत हवै। इही किसान भाई मन ल उखर मेहनत के बने किमत नइ मिल पावत हवै। उखर हक के पइसा ल या तो कोचिया/दलाल मन ह खा देथे या फेर बड़का ब्यापारी मन ह।

हमर दुनिया के भगवान् “किसान” मन के जिनगी अब्बड़ माहँगा हवै, उखर मन के जान ल अइसने मत जावन देवौ। जम्मो राज्य सरकार ल एकर मन बर बिचार करेबर परहि। अगर हमर किसान भाई मन ह अपन उपजाये धान-चाउर, फल-फूल ल कोनो ल बेचे बर छोड़ दिहि त दुनिया के का होही सोच सकत हवौ ?

पुष्पराज साहू
छुरा (गरियाबंद)
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2 Thoughts to “किसान के पीरा”

  1. Ninny..

    Very good your poem my dear bro…

    1. Pushpraj

      Thank u so much

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