चेत
हरियर रुखराई कटिस, सहर लील गिन खेत
देखत हवैं बिनास सब, कब आही जी चेत
कब आही जी चेत , हवा-पानी बिखहर हे
खातू के भरमार , खेत होवत बंजर हे
रखौ हवा-ला सुद्ध , अऊ पानी-ला फरियर
डारौ गोबर-खाद , रखौ धरती ला हरियर
कवि के काम
कविता गढ़ना काम हे, कवि के अतकी जान
जुग परिबर्तन करिस ये, बोलिन सबो सियान
बोलिन सबो सियान , इही दिखलावे दरपन
सुग्घर सुगढ़ बिचार, जगत बर कर दे अरपन
कबिता – मा भर जान, सदा हे आगू बढ़ना
गोठ अरुन के मान, मयारू कबिता गढ़ना ।।
छत्तीसगढ़ के संस्कृति
छत्तीसगढ़ के संस्कृति, एक समुन्दर जान
डबरा के भिन्दोल मन , सदा रहीं अंजान
सदा रहीं अंजान , मनेमन – मा भरमाहीं
घूमें तीनों लोक , कहाँ अइसन सुख पाहीं
ढाई आखर बाँच, अकड़ झन पोथी पढ़ के
एक समुन्दर जान, संस्कृति छत्तीसगढ़ के |
कुण्डलिया छन्द
डाँड़ (पद) – ६, ,चरन – १२, पहिली २ डाँड़ दोहा अउ बाद के ४ डाँड़ रोला होथे. माने कुण्डलिया छन्द हर १ दोहा अउ १ रोला ला मिला के बनाये जाथे.
तुकांत के नियम – दोहा के पहिली २ डाँड़ मा दोहा के नियम अउ बाद के ४ डाँड़ मा रोला के नियम के पालन होथे.
हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४ दोहा अउ रोला के नियम अनुसार.
यति / बाधा – दोहा अउ रोला के नियम अनुसार
खास– कुण्डलिया छन्द मा बहुत अकन खास बात हे. येखर सुरुवात माने दोहा वाले पहिली चरन के सुरुवात के सबद या सबद समूह या आगू-पीछू करके सबद समूह ला कुण्डलिया के आखिरी मा माने रोला के ८ वाँ चरन के आखिरी मा आना जरूरी होथे. माने कि कुण्डलिया छन्द के मुड़ी- पूँछी एक्के जइसन होना चाहिए. इही पाय के एला कुण्डलिया कहिथें. अइसे लागथे मानों कोन्हों साँप हर कुण्डली मार के बइठे हे अउ ओखर मुड़ी- पूँछी एक्के बरोबर दिखथे.
कुण्डलिया छन्द के दूसर खासियत ये हे कि दोहा के ४ था चरन हर, रोला के पहिली चरन बने.
हरियर रुखराई कटिस, सहर लील गिन खेत (दोहा के पहिली डाँड़)
देखत हवैं बिनास सब, कब आही जी चेत (दोहा के दूसर डाँड़)
कब आही जी चेत , हवा-पानी बिखहर हे (रोला के पहिली डाँड़)
खातू के भरमार , खेत होवत बंजर हे (रोला के दूसर डाँड़)
रखौ हवा-ला सुद्ध , अऊ पानी-ला फरियर (रोला के तीसर डाँड़)
डारौ गोबर-खाद , रखौ धरती ला हरियर (रोला के चउथा डाँड़)
एमा पहिली दू डाँड़ “दोहा” हे. बाद के चार डाँड़ रोला हे.
दोहा के चउथा चरन “कब आही जी चेत’ रोला के सुरुवात मा आय हे. दोहा के पहिली सबद “हरियर” रोला के आखिर मा आय हे. कुंडलिया के दोहा वाले हिस्सा मा दोहा के नियम लागू होय हे, अउ रोला वाले हिस्सा मा रोला के नियम के पालन होय हे.
– अरुण कुमार निगम
एच.आई.जी. १ / २४
आदित्य नगर, दुर्ग
छत्तीसगढ़