‘बबा!ये दिया काबर बरत हे?’
‘अंजोर करे खातिर बरत हे बेटा!!’
बबा ह अपन नाती ल समझावत बताइस। ताहने ओकर नाती ह फेर एक ठ सवाल पूछथे-
‘ये अंजोर काकर बर हरे बबा?’
‘जेन ह ओकर अंजोर के फयदा उठाही तेकर बर!!’
‘एमा दिया के का फयदा हे बबा?’
‘एमा दिया के कोनो फयदा नीहे बेटा!’
‘एमा दिया के फयदा नीहे त काबर बरत हे? बबा!’
‘दिया के बुता हरे बेटा! अपन फयदा-नुकसान के चिंता ल छोडके ओहा सरलग बरत रहिथे।’
‘जब नानकुन दिया ह अपन स्वारथ के चिंता ल छोडके अपन बुता म रमे रहिथे त मनखे ह बात-बात म अपन फयदा काबर खोजथे बबा?’
बबा कना नाती के सवाल के कोनो जुवाब नी रिहिस।
रीझे यादव
टेंगनाबासा (छुरा) 493996
बड़ सुघ्घर कहानी महोदय