जै जै कौशल्या के देश
धोती, पगड़ी, छाता-छितोरी, जेकर भूषा-वेश ॥ जै जै….. ॥
अर्र तता तत गीता गाइन, हलधर जी के मंत्रा पाइन।
नहि अपन खाके पर ला पोसे, नहि जाये बिदेश॥ जै जै….॥
छल कपट कछु नहि जाने, ब्राह्मणविष्णु खूबिच माने।
पर हित खातिर माटी होके, पकाये अपन केंस ॥ जै जै….॥
छत्तीसगढ़ के छत्तिस बोली, उमड़ जाये ले नवधा गोली।
रण चण्डी चढ़ जाये खप्पर, नहि देखे अपन शेश ॥ जै जै…..॥
सत्य, अहिंसा, दया, छमा, परिपूरन कौशल माता।
राम लला कोरा में खेले, दूध पूत के नाता।
नव के योग है लख छत्तिसी, यही राम अवधेश ॥ जै जै…॥
फूल, चंदन लाल कर पूजा, अजर अमर छत्तिस न दूजा।
सम तूलन कर शब्द ब्रह्म रे, छत्तिसगढ़ विहगेस॥ जै जै….॥
अलख लगाये मानस छत्तिस नवधा भक्ति आत्मा रंगगिस।
पूर्व अंग रामायण तुलसी, अखंड दीया असेस।
जै जै कौशल्या के देस॥