दाँव गवाँ गेगाँव-गाँव म गाँव गवाँ गेखोजत-खोजत पाँव गवाँ गे। अइसन लहँकिस घाम भितरहा छाँव-छाँव म छाँव गवाँ गे। अइसन… Read More
मितान हम-तुम लकठा जातेन दुख-सुख बाँट के जुड़ा जातेन। दिन भर किंजर-बूल के संगी एक खोंधरा मा बने आ जातेन।… Read More
फुटहा दरपन हरियर छइहाँ हर उदुप ले हरन हो गे तपत, जरत-भूँजात पाँव के मरन हो गे। घपटे रहि जाथे… Read More
पहाड़-कस गरू हवय अँधियारी रतिहा टोनही बन गे हे एक कुआँरी रतिहा। बने रद्दा ह बने नइ लागय मनखे ला… Read More
पता नइयेकखरो बिजहा ईमान के पता नइये कखरो सोनहा बिहान के पता नइये। घर-घर घपटे हे अँधियारी भैया गा सुरुज… Read More
पेट सिकन्दर हो गे हे मौसम अजगर हो गे हे। निच्चट सुक्खा पर गे घर आँखी पनियर हो गे हे।… Read More
मन रोवत हे मुँह गावत हे का कहिबे गदहा घलो कका लागत हे का कहिबे? अब्बड़ अगियाए लागिस छइहाँ बैरी… Read More
जब ले तैं सपना से आयेमोला कुछु सुहावत नइयेसंगी तैं ह अतेक सुहायेपुन्नी चंदा ल देखेंवतोरे मुह अस गोल गढन… Read More