लुका झन काहत बड़ ठंडी रात हे,
देख कइसे फागुन बउरात आत हे!
झराके रुखवा चिरहा जुन्ना डारापाना,
नवा बछर म नवा ओनहा पहिरात हे!
रति संग मिलन के तैय्यारी हे मदन के
कोयली ह कइसे रास बरस मिलात हे!
मउहा कुचियाके बांधे लगिन दिन बादर,
फुलके परसा सरसो महुर मेंहदी रचात हे!
फगुवा के राग म निकले तियार बराती,
बनके लगनिया आमा मउर चढ़ात हे!
माते पुरवाई झुमरत बन के बंडोरा,
सुनावत सब ल सरसर बधाई गात हे!
ललित नागेश
बहेराभांठा(छुरा)
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]