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कविता

तोरे अगोरा हे लछमी दाई

होगे घर के साफ सफाई,
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।
अंगना दुवार जम्मो लिपागे,
नवा अंगरक्खा घला सिलागे।
लेवागे फटक्का अउ मिठाई,
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 1

अंधियारी म होवय अंजोर,
दीया बारंव मैं ओरी ओर।
हूम-धूप अउ आरती गा के,
पईयां परत हंव मैं ह तोर,
बांटव बतासा-नरियर,लाई,
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 2

तोर बिन जग अंधियार,
संग तैं त रतिहा उजियार।
तोर किरपा ह होथे जब,
अन-धन के भरय भन्डार।
सुख-दुख म तैं सदा सहाई।
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 3

कलजुग के तहीं महरानी,
तोर आगू भरैं सबो पानी।
माया म तोर जग बउराय,
अप्पढ-मूरख अउ गियानी।
बिनती”अमित”, कर भलाई,
तोरे अगोरा हे लछमी दाई।। 4

कन्हैया साहू “अमित”
शिक्षक भाटापारा (छग)
संपर्क :- 9200252055