- कविता: कुल्हड़ म चाय
- जिनगी जरत हे तोर मया के खातिर
- बंदत्त हंव तोर चरन ल
- बसंत रितु आगे
- दादा मुन्ना दास समाज ल दिखाईस नावा रसदा
- खिलखिलाती राग वासंती
- बसंत आगे रे संगवारी
- सरसों ह फुल के महकत हे
- मदरस कस मीठ मोर गांव के बोली
- अपन भासा अपन परदेस के पहचान
- तुंहर मन म का हे
- दुखिया मन के दुःख हरैया
- हमर छत्तीसगढ़
- आँखी के काजर
- ममा घर के अंगना
- खिल खिलाके तोर मुस्काई
- अमरैया के छाँव म
- छत्तीसगढ़ी दिवस 28 नवम्बर विशेष
- ओहर बेटा नोहे हे
- कविता : अब भइगे !
- कविता : मन के मोर अंगना म
- कविता : कहॉं लुकाये मोर मईया
- कुशलाई दाई के मंदिर म सजे हे जेवारा.
- कविता : नोनी बर फुल
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- लक्ष्मी नारायण लहरे