अउ जब छत्तीसगढ़ी भासा के नांव न इ आय तब वो ह काय के राजभासा हरे?
का राजभासा अइसने होथे जेकर इसकुल म एक भासा के रूप म तको कोई पहिचान नइ हे? अउ सरकार अपन पीठ ठोंकत हे-‘हमने छत्तीसगढ़ी को राजभाषा बनाया’। का एमा खुस होय के बात दिखथे?
आगू बढ़न! छत्तीसगढ़ी के बात सुरू करेस तहान छत्तीसगढ़ी उपर बिदवान मन के बड़े-बड़े सुझाव, उपाय अउ छत्तीसगढ़ी भासा के बढ़चढ़ के गुनगान के सिलसिला सुरू हो जथे।
छत्तीसगढ़ी म सरकारी कामकाज सुरू होना चाही।
छत्तीसगढ़ी ल संविधान के आठवां अनुसूची म सामिल करे जाय।
प्रायमरी सिक्छा के माध्यम छत्तीसगढ़ी करे जाय।
ये सब बहुत बड़े-बड़े बात आय। अइसन कुछ नइ होने वाला हे।
मैं बहुत छोटे से बात करथंव। जउन 20℅ पाठ ल हिन्दी संग मिला के पढ़ाय जावत हे वोला अलग करके स्वतंत्र अनिवार्य बिसय बना दे जाय। मोर दावा हे एमा हर्रा लगय न फिटकिरी अउ रंग चोखा। कइसे? मैं बतावत हौं-
अभी सरकार दुवारा मिडिल से लेके हाई हायर सेकेंडरी तक बर जारी टाइम टेबल के मुताबिक सात पिरेड बनाय गे हे। छै पिरेड म छै बिसय के पढ़ाई होथे। सातवां पिरेड देखायच बर भर बने रइथे। यदि छत्तीसगढ़ी ल एक अलग अनिवार्य बिसय बना दे जाय तौ ये सातवां पिरेड बनाय के औचित्य घलो दिखे लग जही।
मैं जानत हौं मोर ये बात म मास्टर मन मोर पीछू म डंडा धर के कुदाही। काबर के एखर से काम के बोझ तो निसचित रूप में थोड़ा सा बढ़ जही।
फेर मैं महतारी भाखा खातिर अइसन मार-गारी ल सहे बर तइयार हौं। मोर सिक्छक साथी मन से बिनती हवय उन घलो महतारी भाखा के मान सम्मान खातिर अतका कुरबानी देय बर आगू आवंय। धन्यवाद!
जै जोहार! जै छत्तीसगढ़़!!
जै छत्तीसगढ़ी!!
दिनेश चौहान
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