बुद्धि ला खूंटी मा टांग के,
भेड़िया असन धँसा जाथन
ढोंगी साधु सन्यासी बर,
फिलगा असन झपा जाथन
कभू आसाराम के झाँसा म
कभू निरमल बाबा के फाँसा म
कभू रामपाल के चक्कर म
कभू राधे माँ म मोहा जाथन
बुद्धि ला खूंटी म टांग के,
भेड़िया असन धँसा जाथन
ढोंगी साधु सन्यासी बर,
फिलगा असन झपा जाथन
खुद मया मोह के चिखला में
नरी उप्पर ले धँसे रहिथे
परवचन कहिथे बड़े बड़े
निनानब्वे के चक्कर म फँसे रहिथे
इन पाखण्डी के चक्कर म,
दूध दोहनी दुनो लुटा जाथन
बुद्धि ला खूंटी म टाँग के,
भेड़िया असन धँसा जाथन
ढोंगी साधु सन्यासी बर,
फिलगा असन झपा जाथन ।।
– महेश पांडेय “मलंग”
पंडरिया (कबीरधाम)
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बहुत बढ़िया रचना पांडेय जी। बधाई हो