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अनुवाद जीवन परिचय

मंगल पांडे के बलिदान : 8 अप्रैल बलिदान-दिवस

अंगरेज मन ल हमर देस ले भगाए बर अउ देसवासी मन ल स्‍वतंत्र कराए बर चले लम्बा संग्राम के बिगुल बजइया पहिली क्रान्तिवीर मंगल पांडे के जनम 30 जनवरी, 1831 के दिन उत्तर प्रदेश के बलिया कोति के गांव नगवा म होय रहिस। कुछ मनखे मन इंकर जनम उत्‍तर प्रदेश के साकेत जिला के गांव सहरपुर म अउ जन्मतिथि 19 जुलाई, 1927 घलोक मानथें। मेछा के रेख फूटतेच इमन सेना म भर्ती हो गये रहिन। वो बखत सैनिक छावनी मन म गुलामी के विरुद्ध आगी सुलगत रहिस।
अंग्रेज मन जानत रहिन कि हिन्दू गाय ल पवित्र मानथें, जबकि मुसलमान सूंरा ले खिक मानथें। तभो ले अंग्रेज मन अपन सैनिक मन ल जऊन कारतूस देवत रहिन, ओमां गाय अऊ सूंरा के चर्बी मिले रहत रहिस। गोली चलाए के बेरा वो कारतूस ल सैनिक मन ल अपन मुँह ले खोले ल परय। अइसनहे अड़बड़ बछर ले चलत रहिस फेर सैनिक मन ल एकर सच मालूम नइ रहिस। मंगल पांडे ओ समय बैरकपुर म 34 वां हिन्दुस्तानी बटालियन म तैनात रहिन। उहाँ पानी पियइया एक हिन्दू ह ए बात के जानकारी सैनिक ल दीन के कारतूर के खोल म गाय अउ सूंरा के चर्बी चढ़े हे। एखर से सैनिक मन म आक्रोश फैल गीस। मंगल पांडे ले रहे नइ गीस। 29 मार्च, 1857 के दिन उमन विद्रोह कर दीन। एक भारतीय हवलदार मेजर ह जाके सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन ल ये हाल ल बताइस। मेजर घोड़ा म बइठके छावनी गीस। उहां मंगल पांडे सैनिक मन ल कहत रहिन के अंग्रेज हमार धरम ल भ्रष्ट करत हें। हमला उंखर नौकरी छोड़ देना चाही, मैं छोंडहूं, मैं तो परन कर लेहे हवंव अउ कोनो अंग्रेज कहूं मोला रोकही में ओला मार दूंहूं।




सार्जेण्ट मेजर ह्यूसन ह सैनिक मन ल मंगल पांडे ल पकड़े ल कहिन; तब तक मंगल पांडे के गोली ह ओखर सीना छलनी कर दीस। ओखर लाश घोड़ा ले नीचे आ गिरिस। गोली के अवाज सुनके एक अंग्रेज लेफ्टिनेण्ट उहाँ आ गीस। मंगल पांडे ह ओकर उपर घलोक गोली चलाईस; फेर वो बचके घोड़ा ले कूद के गे। मंगल पांडे ओकर उपर झपट परिस अऊ तलवार ले ओखर काम तमाम कर दीस। लेफ्टिनेण्ट के सहायता बर एक आन सार्जेण्ट मेजर आइस; उहू मंगल पांडे के हाथ मारे गीस। अब तक चारों मूड़ा खबर फइल गीस। 34 वां पल्टन के कर्नल हीलट ह भारतीय सैनिक मन ल मंगल पांडे ल पकड़े के आदेश दीस; भारतीय सैनिक मन एखर बर तैयार नइ होइन, मने बिद्रोह कर दीन।




अंग्रेज सैनिक मन ल बलाए गीस अउ सबले पहिली मंगल पांडे ल चारो मूड़ा ले घेर लिए गीस। जब चारो तरफ ले मंगलवार घेरा गये त वो समझ गइस के अब बचना असम्भव हे। तेखर सेती वो अपन बन्दूक ले खुदे ल गोली मार लीस। गोली ले मंगल मरे नइ रहिस भलुक घायल होके गिर गए रहिस। अंग्रेज सैनिक मन ह ओला पकड़ लीन, घायल मंगलवार उपर कोर्ट मार्सल होइस। मंगल पांडे उपर सैनिक न्यायालय म मुकदमा चलाए गीस। उमन कहिन, ‘‘मैं अंग्रेज मन ल अपन देश के भाग्यविधाता नइ मानंव। अपन देश ल आजाद कराना कहूं अपराध हे, त मैं हर दण्ड भुगते ल तैयार हंव।’’
न्यायाधीश ह ओला फांसी के सजा दे दीस अउ 18 अपरेल के दिन फाँसी देहे बर निरधारित कर दीन। एती भारतीय सैनिक मन के बीच मंगलवार के लगाए आगी ह फइल गए रहिस। अंग्रेज मन ह देश भर म अउ जादा विद्रोह झन फइले ये डर म, घायले अवस्था म 8 अपरेल, 1857 के दिन मंगल ल फाँसी दे दीन। बैरकपुर के छावनी म मंल ल फाँसी देहे बर कोनो जल्‍लाद तइयार नइ होइन, तीर तखार के छावनी वाले मन तको तइयार नइ होइन। हार खाके अंग्रेज मन कोलकाता ले चार जल्लाद जबरन बला के वोला फांसी देहे गीस।
मंगल पांडे ह क्रान्ति के जऊन मशाल जलाईस उही आगू चलके 1857 के बड़का अउ जबर स्वाधीनता संग्राम के रूप लीस। हमर भारत देस भलुक 1947 म स्वतन्त्र होइस फेर ये आजादी बर पहिली क्रान्तिकारी मंगल पांडे के बलिदान ल हमेसा श्रद्धापूर्वक स्मरण करे जाथे।

– अनुवाद : संजीव तिवारी
– मूल हिन्‍दी आलेख : इंटरनेट में उपलब्‍ध विभिन्‍न स्रोतो से प्राप्‍त