मांघी पुन्नी के मेला

जगा जगा भराय हाबे, मांघी पुन्नी के मेला ।
कोनो जावत जोड़ी जांवर, कोनो जावत अकेला ।
कोनो जावत मोटर गाड़ी, कोनो फटफटी में जावत हे।
कोनों रेंगत भसरंग भसरंग, कोनो गाना गावत हे।
हाबे संगी अब्बड़ भीड़, होवत रेलम पेला।
जगा जगा भराय हाबे, मांघी पुन्नी के मेला।
लगे हाबे मीना बजार, होवत खेल तमासा ।
जगा जगा बेचावत हाबे, मुर्रा लाई बतासा ।
डोकरी दाई खावत हाबे, बइठ के केरा अकेल्ला।
जगा जगा भराय हाबे, मांघी पुन्नी के मेला ।

महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]


Share
Published by
admin