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कविता

14 फरवरी मातृ-पितृ पूजन दिवस खास…

तुहर मया

खेलय कूदय रेहेव ननपन म, तोर मया के छाँव म।
शहर म नइये अइसने सुख, जे मिलथे हमर गाँव म।।

छलकत रहिथे ओ दाई, अब्बड़ मया हा तोर।
कभु कभु तुहर मया म, टपकथे आँखी ले झोर।।

नी सिरावय जइसने, चँदा सुरुज के अंजोर।
वइसने अजर अमर हे दाई, तोर मया के डोर।।

बुता करत हे ददा घलो, पानी बादर मंझनिया।
लिखाय पढ़ाय बर हमन ल, कमाथे संझा बिहनिया।।

रहिथो भले रईपुर म मैहा, पुछत रहिथो तुहर सोर।
बने-बने हाबे ना, दाई ददा ह मोर।।

डोकरी दई, बबा ह मया म, खजानी ल देथे जोर।
सुरता अब्बड़ आथे मोला, दई ददा गा तोर।।

पुष्पराज साहू
छुरा (गरियाबंद)
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