मोर गाँव ले गँवई गँवागे
बटकी के बासी खवई गँवागे
मुड़ ले उड़ागे पागा खुमरी
पाँव ले पनही भँदई गँवागे
सुग्घर दाई बबा के कहिनी
सुनन जुरमिल भाई बहिनी
करमा सुआ खोखो फुगड़ी
लइकन के खुडवई गँवागे
खाके चीला अँगाकर फरा
जोतै नाँगर तता अरा रा
दूध कसेली खौंड़ी म चूरै
मही के लेवना लेवई गँवागे
आगे मोबाइल टीबी पसरगे
राग सुमत ल सबो बिसरगे
तीज तिहार म घर घर घुम घुम
ठेठरी खुरमी खवई गँवागे
करधन एैंठी खिनवा पहुँची
फँुदरी माहुर बोहागे गऊकी
लीखपोहना अउ ककवा ले मुड़ के
जुँवा हेरई लीख पोहई गँवागे
सगा सोदर बर लोटा म पानी
निकल जुड़ावय गुरतुर बानी
माते गुटका मंजन मंद म
पान सुपारी खवई गँवागे
गाड़ा बइला ढेलवा रचुली
गोरधन गंगाजल अउ भोजली
केंवट काँदा भक्का लाड़ू
खावत मेला मँड़ई गँवागे
धान कटोरा मोर छत्तीसगढ़
बमलाई महामाई के गढ़
तपोभूमि चंपारण सिहावा
राम के ममा गँवई सँवागे
धर्मेन्द्र निर्मल