मोर मन के बात

आज फेर तोर संग मुलाकात चाहत हंव,
उही भुइंया अउ उही बात चाहत हंव।
के बछर बाद मं फेर वो बेरा आही,
मोर जीत अउ तोर मात चाहत हंव।

मेहां बनहूं अर्जुन अउ तै हर करन,
तोर-मोर बीच रइही फेर इही परन।
अपन बाण तोला मारहूं या मेहां मरहूं,
छै के काम नइ हे,पांचे बाचही कुरू रन।

भीष्मपिता ल तको भसम मेहां करहूं,
द्रोणाचार्य के घलो आत्मा ल हरहूं।
जयद्रथ ह रतिहा के चंदा नइ देख सकय,
आज सुरूज डूबे के पहिली ओला छरहूं।

एक-एक झन करन में बदला लूहूं।
गिन-गिन के ओकर लहू ल पीहूं।
जेन-जेन चीर हरन के हाबय दोसी,
ओला सोहारी कस में तेल मं तरहूं।

हर जुग मं काबर हिरनी के शिकार,
मरद फिरत हे इहां बनके खुंखार।
दुर्योधन-दुशासन के करहूं संहार,
भीम सरीक गदा धर के होगेंव तियार।

कु. सदानंदनी वर्मा
रिंगनी (सिमगा)
मोबाइल नम्बर-7898808253
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