अकती तिहार हमर छत्तीसगढ़ अँचल के बहुँत बढ़िया प्रसिद्ध परंपरा आय। ये तिहार ला छत्तीसगढ़ के गाँव-गाँव मे बड़ा हर्सोल्लास के संग मनाय जाथे। बैशाख महीना के अँजोरी पाख के तीसरा दिन मा मनाय जाथे।आज के जुग मा नवा-नवा मनखे अउ नवा-नवा जमाना के आय ले अउ हमर जुन्ना सियान मन के नंदाय ले हमर अतेक सुग्घर तिहार हा घलो नंदावत हे। पहेली के सियान मन अकती तिहार के पहेली ले जोरा करत राहय।अकती तिहार आही ता गाँव के डिही डोंगर ठाकुर दिया में अउ शीतला दाई में दोना में धान चइघाके किसानी काम के सुरू करबो कहिके। अउ अकती के दिन ले किसानी काम ला सुरू करय। अउ आज के जुग मा कतको जघा सुने मा मिलथे के ये दोना चघाय के परंपरा हा घलो नंदावत हे।
अउ हमर छत्तीसगढ़ में अकती तिहार के बहुँत सुग्घर विशेषता घलो हावय। अकती के दिन गाँव मा काम बुता ला बन्द करके एक जघा सब जुरयाथे।अउ माटी के पुतरी-पुतरा के बिहाव घलो करे जाथे। बड़ खुशी के संग बिहाव करे जाथे पुतरी-पुतरा के। एक घर पुतरी ला रखथे अउ एक घर में पुतरा ला अउ बिधि बिधान से बिहाव रचाथे। पुतरा वाला मन पुतरी के घर मा बाजा-गाजा के संग बरात (बिहाय ला) जाथे। अउ पुतरी पक्ष के मन घलो सुग्घर बिधि बिधान से पुतरा पक्ष के मन ला परघाके लाथे।अउ पंडित बलाके पूजा पाठ कराथे।अउ सुग्घर धरम टिकान घलो करथे। अउ सुग्घर गीत घलो गाथे…
कोने तोरे टिकय नोनी,
अचहर पचहर ओ
अचहर पचहर ओ।
कोने तोरे टिकय धेनू गाय,
ये ओ बेटी मोर…
कोने तोरे टिकय धेनू गाय।।
अइसन सुग्घर टिकावन गीत गाथे अउ सुग्घर टिकावन टिकथे। अउ टिकावन के बाद मा सुग्घर सिरतोन के बेटी बरोबर पुतरी के बिदा करथे। अइसन सुग्घर पुतरी-पुतरा के बिहाव करथे। अउ आज के मनखे मन अइसन सुग्घर हमर छत्तीसगढ़ के परंपरा ला भुलावत हे। आज घलो ये परंपरा हा कोनो-कोनो मेर जियँत हे। आप सब से निवेदन करत हँव हमर छत्तीसगढ़ के अइसन सुग्घर रीती रीवाज हमर परंपरा ला जियाँय के प्रयास करव।
गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम(घटारानी)
जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)
मों.9009047156