राजेश बड़ सुगसुगहा आय। थोरको मौसम बदलिस कि ओखर तबियत बिगड़ जातीस। धुर्रा माटी हा ओखर जनम के बैरी रिहिस होही। राजेश हा अइसे तो बड़का कंपनी मा नउकरी करथे। तनखा घलो बनेच मिलथे। दाई ददा ले दुरिहा, कंपनी के घर मा रहिथे। फेर एकेच ठन दुख मा गुनत हवय। उमर 35 पूरगे हवय अउ बिहाव नइ होय हवय।संग संगवारी मन बिहाव करेबर काहय तब मुच ले हाँस दय। भँइसा के सींग भँइसा ला भारी अइसने ओखर दुख हा दिनोंदिन ओला भारी होवत रहय।अइसे वो भगवान के भक्ति मा कमी घलाव नइ करय।हर मंगल अउ शनिच्चर के हनुमान मंदिर जाय मा नाँगा नइ करय।फेर भगवान घलाव कतका दिन ले नइ मानही ? ओखरो लगन फरियाइस.,। ओखरे कंपनी मा काम कराइया संगवारी हा अपन दुरिहा के नत्ता मा सटका बनके जोग मढ़ा दीस। गोठबात, मन पसंद होगे। दिनतिथी मढ़ाके सुग्घर बिहाव होगे।बने गोसाइन पाइस। वहू हा पारबती बरोबर बड़ तपस्या करे रहिस तब 32 बच्छर मा राजेश ला पाइस।अब दूनो झन बजार हाट ले लेके मंदिर तक जावय। सुख के दिन पूस बरोबर कइसे बीतथे पता नइ चलय।देखते देखत तीन बच्छर बीतगे। सब बनेच बने चलत हे , फेर एक दुख मा ओमन घेरात हवय। तीन बच्छर बीते पाछू उखर घर बालगोपाल नइ खेलिस। दुनिया के रीत आय कि काखरो सुख ला देख नइ सकय अउ दुख ला आगू आगू मा लानथे।जौन सगा संगवारी मिलय एकेच भाखा पूछय।कोनो जगा देखा सुना नइ कराय हव?फलाना बईद हा… उहाँ के डाक्टर हा… फलाना मन फलाँ जगा गीन अउ चारेच महीना मा…।
सुन सुनके दुख कमती होय के जगा बाढ़य। चँवथा बच्छर पाछू राजेश अउ सरिता के घर भगवान खुदे जेठौनी के दिन आइस। चातुर्मास के पाछू भगत हा भगवान के दरस करके जतका खुश होथय वइसनेच राजेश ला होइस।छट्ठी मनाय बर सब सगा सोदर अरपरा परपरा नेवत के बफर पार्टी रख के मनाइस।पइसा के कमती तो नइ रहय , छत्तीसगढ़ी कार्यक्रम घलाव कराइस।जतका झन आय रहीन सबोमन खुश होगे। अधरतिया ले जादा बेरा तक अवइया जवइया लगे रहीस।का छोटे का बड़का सबो किसम के मनखे मन आइन, लइका ला असीस दीन। फेर किस्मत के रेखा ला कोनों मेटाय नइ सकय। दूसर दिन लइका के तबियत बिगड़ गे। डाक्टर मन कहिस कि निमोनिया होगे हावय।राजेश के जी धकधकागे।डाक्टर कहिस-कि जादा डर्राव झन, बस लइका ला धुर्रा, माटी, पानी-बरसात,जुड़-तात, ले बचा के राखहू। लइका थोकिन सुगसुगहा रही। राजेश ला फेर उही सुरता आगे जौन कई बच्छर पाछू ओकर दाई ददा ला डाक्टर कहे रहिस।
हीरालाल गुरुजी”समय”
छुरा, जिला- गरियाबंद