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गीत

नरसिंह दास के सिव के बरात

आइगे बरात गांव तोरे भोला बबा जी के,
देखे जाबो चला गिंया संगी ल जगावारे।
डारो टोपी धोती पांव पैजामा कसिगर,
गल बंधा अंग कुरता लगावरे॥
हेरा पनही दौड़त बनही कहे नरसिंह दास,
एक बार हुहां करिसबें कहूँ धावारे।
पहुंच गये सुक्खा भये देखि भूत-प्रेत,
कहे नहीं बांचन दाई बबा प्राण ले भगाव रे॥
कोऊ भूत चढ़े गदहा म कोऊ,
कूकूर म चढ़े कोऊ-कोऊ कोल्हिया म चढ़िआवत।
कोऊ बिगवा म चढ़ि कोउ बघवा म चढ़ि
कोउ घुघवा म चढ़ि हांक उड़ावत॥
सर्र-सर्र सांप करे गर-गर्र बाघ करे,
हांव हांव कुत्ता करे, कोल्हिया हुहावत।
भूत करे बम्म-बम्म कहे नरसिंहदास,
शम्भु के बरात देखि जियरा डरावत॥
बूक करे बर-बर्र कोल करे घुर्-घुर्र,
बरद मरदि महि गरदा उड़ावत।
भूत कहे घांव-घांव प्रेत कहे खाव-खाव,
डाकिनी पिशाच गीत लुलु लुलु गावत॥
हुम्म हुम्म बन्दर करत कूदि मन्दर से,
बांदुल नांदुल सुनि अन्तड़ी सुखावत।
कहे नरसिंगदास शंभु के बरात देखि,
गिरत परत सब लरिका भगावत॥
सवैया
सांप के कुंडल कंकण सांप के,
सांप जनेऊ रहे लपटाई।
सांप के हार है सांप लपेटे,
है सांप के पाग जटा शिरा छाई॥
नरसिंहदास देखो सखिर रे,
बर बाउर है बैला चढ़ि आई॥
कोऊ सखी कहै कहै हे छी:,
कुछ ढंग नहीं सोख हावे छी: दाई॥

नरसिंह दास