नवा बच्छर के गोठ

नौ बच्छर के संतराम डबल रोटी खाय बर सतरा दिन ले दू कोरी रुपया जमा करेबर ऐती ओती हाथ लमावत हे। जब ले डबल रोटी के नांव ल सूने हे तब ले ओकर मन उही में अटक गे हावय, फेर गरीब के लईका बर दू कोरी माने चालीस रुपया चार लाख आय।दाई ददा तो पहिलीच ले नई हे। मंदहा ममा के घर रहिके बाढ़त हे। मामी के हिरदे मा ममता ह कहां लुकाय हे तेला संतराम दू बच्छर ले खोजत हे।गांव के सरकारी इस्कूल मा बिहनिया ले मध्यान भोजन के अगोरा मा ओड़ा टेकाय रथे।गांव के सबो लइका संतराम ल बड़ मया करथे, काबर कि ओ पढ़ई मा हुसियार के संगेसंग सब संगवारी के बेरा बेरा मा मदद करथे।लइकामन जब इस्कूल आथे तब अपन अपन घर ले खई खजाना ,रोटीपीठा लाथे तेला संतराम ल घलाव देथे। पढ़ई मा अउवल अवइया संतराम ल गुरुजीमन घलो मया करथे।

एकदिन अंगरेजी पढ़ावत गुरुजी हा ब्रेड के हिन्दी मायने पावरोटी अउ डबलरोटी बताइस ताहन ओकर सुवाद,खाय के तरीका के बारे मा फोर के बताइस।उही दिन ले संतराम के डबलरोटी खायबर मन लागगे।संतराम के संगी लीलाधर, होरी, पोखन मन डबलरोटी के बारे मा बताय घलो हे।फेर दू कोरी रुपया कहां ले पाय। अभी चार दिन मा नवा बच्छर अवइया हावय। गांव मा उछाह होवइया हे।संतराम कभू नवा अंगरखा नइ जानिस त नवा बच्छर मा का होथे, ओकर नान्हे बुध मा नइ समाय।



संगवारी मन ओला बताइस कि ऐसो नवा बच्छर मनायबर गांव मा पंडवानी कार्यकरम होवइया हे। संतराम जानथे कि जब कभू गांव मा तीज-तिहार,मड़ई-मेला होथे,तब गांव के मनखेमन छ्कत ले दारु पीथे। अब ओला अपन डबलरोटी पाय के रद्दा दिख गे।फेर वोहा कोनों ल येला नइ बताइस। 31 दिसम्बर के संझा ले गांव के कलामंच मा पोगा रेडिया बाजे लगीस। संतराम अपन संगवारी मन संग उही मेर खेलत राहय।सायकिल, फटफटी मा अवइया जवइया ल देख के मनेमन खुस होवय।गांव के परंपरा हे रात के बारा बजे पटाका फोर के अउ तसमई खाके नवा बच्छर के सुवागत करे जाथे। ओकर पहिली सब गांव भरके मनखे नाचथे। रतिहा नौ बजे लइका, सियान, माईलोगिन पंडवानी देखेबर सकलाईन।संतराम गांव ल एक फेरी लगा के आगे, ओला जनाकारी होगे कि कोन कोन अपन जोखा ल कहां कहां जमाय हे।कार्यकरम बारा बजे के पहिली बंद होगे। गांव के चेलिक सबोझन पटाका फोरिन अउ तसमई परसाद खाईन पाछू एक दुसर ला बधाई कहिन।



संतराम ल आज नींद नइ आत रहय। जब सबोझन कलामंच ठऊर ले अपन अपन घर जाय लगीन तब संतराम एकठन चिरहा झोरा ल धरके गांव के तीर के खेत, तरिया के पार, बोरिंग ठऊर , इस्कूल के पाछू, गंउटिया के बांड़ा अउ कोन जनी कहां-कहां घूम-घूम के दारु के सीसी बीने मा लग गे।कब बेरा पंगपंगागे लइका ला पता नइ चलिस।अभी झुलझुलहा मुंधियार रहीस फेर रद्दा दिखत रहाय। पीठ मा झोराभर सीसी लादे एक कोस रेंग के सहर मा अमरगे। कहे जाथे करम करइया के भगवान घलो संग देथे।सहर के निंगतीच मा कबाड़ी के घर रिहीस जौन दारु के रीता सीसी लेथय।सूरुज देवता घलो दरसन देय लगीस। बिहनीया ले बोहनी बर कबाड़ी देखत राहय। संतराम हफरत अमरिस अउ झोरा ला उतारिस।कबाड़ी हा सीसी ल गिनीस तब बाईस ठन बने अऊ चार ठन खंड़िया निकलिस।एकठन के दू रुपिया के हिसाब ले चार आगर दू कोरी माने चउरालीस रुपिया संतराम ल दे दीस।संतराम पइसा ल धरके कबाड़ी ल डबल रोटी के दुकान पूछिस।कबाड़ी के बताय रद्दा मा जाके तीन कम दू कोरी माने सड़तीस रुपियावाला डबलरोटी के पाकिट बिसाइस अउ झोरा मा पोटार के धरीस। उही मेर चाय के दुकान में जाके दू रुपिया के चाय मांगके पीये के पाछू घर के रद्दा धरलीस।लुंहगात, दउंड़त घर अमरीस अउ इस्कूल जायबर तियार होगे।

इस्कूल मा पहिलीच ले जाके संगवारीमन के अगोरा करत रहीस। आज ओकर माथा चमकत हे अउ मूहूं मा मुस्कान हे। संगवारीमन सकलाईन अउ नवा बच्छर के गोठ गोठियान। उही बेरा संतराम झोरा ले डबलरोटी के पाकिट निकालिस अउ सबझन के आघू मा राखदीस। डबलरोटी पाकिट देख के सबो संगवारी सनखागे। संतराम रातकिन ले बिहनिया के सबो किस्सा ल संगवारी मन ल बताइस अउ कहिस कि ममा मामी ल झन बताहू। सबो संगवारी मन मिल बांटके संतराम के लाय डबलरोटी ल खाईन।नवा बच्छर के पहिली दिन आज संतराम डबल रोटी खाके अबड़ खुस हे ओकर संगवारी मन जादा खुस हे कि ओकर गरीब संगी ह अइसन नजराना दे हावय।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, जिला- गरियाबंद
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One Thought to “नवा बच्छर के गोठ”

  1. Pushpraj

    अब्बड़ सुघ्घर लागिस हवै

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