पंच परमेश्वर के झगरा मा नियाव कइसे होही

इतवार के दिन संझा रमेसर के बेटी के आनजात होय के नियाव के बइटका सकलाय के हांका परिस। गांव के सियान मन संझा समाजिक भवन मा सकलाइन। आठ गांव के परमुख सियान घलो बलाय रहिस।कुरियाभर चमाचमा के मनखे बइठ गे। गांव के परमुख सियान ह पुकार करिस- रमेसर , बता जी कायबर बला हस? रमेसर कहिस मोर नोनी ह आनजात होगे। समाज मोला छोड़ देहे। मै समाज के संग मा रहू ,मोला लहरा ले लव। गरीब मनखे ल समाज ले बाहिर होके जिनगी बिताय बर दूभर हो जाथे, चार गंगा ,पांच पंच परमेश्वर जौन नियाव करहू तौन ल मानहुं। बइठका मा सकलाय सियानमन एक दू घंटा ले ऐती ओती के गोठ करके, सबो फरियाव पूछ के नियाव करेबर पांच पंच के नांव उठाइस। पांच पंच उठिस,दूसर कुरिया मा पांचोझन बइठ गे। आधा घंटा ले एक घंटा होगे, लहुटबे नई करिस। सियानमन पतासाजी करिस त जनाकारी होइस कि जौन पांच पंच उठे रहिन उहीमन अपने अपन झगरा मता देहे। एक दूसर के नियाव मा सुम्मत नइ हो सकत हे। दू घंटा बीत गे,एक पंच बाहिर नकल के उहां काय काय चलत हे ओला ,उही मेर खड़े चार पांच झन ला बता दिस। पाछू पाछू सबो पंच निकल गे अउ एक दूसर ल गारी गुप्तार करत अपन अपन संगवारीमन करा चल दिन। झगरा अब बाड़गे, पांच ले पन्दरा, पन्दरा ले पच्चीस होगे।जम्मोझन समाज परमुख उपर लांछन लगाय लागिस कि पंच के उठई मा नियाव सही नई होईस।अपखहा, इरखहा, कइरहा, ललचहा मनखे ल पंच मा उठा दिस।तब नियाव कइसे होही।नियाव मा सुम्मत नइ होय ले बइठका मा आय मनखे जायबर लगीस।आनगांव ले आय सियान मन बिदा मांगिन अउ चल दिन,कहिन – जौन दिन सुम्मत हो जाही ओ दिन अउ बला लेहू।फेर आज ले रमेसर के नियाव नइ
होय हे।



पंच ला परमेश्वर कहे जाथे, जौन नीत नियाव करथे। फेर अब न अलगू चौधरी हे न जुम्मन।भितरी के बात बाहिर आय ले नियाव करइया पंच उपर दाग लगथे।हमर देस मा घलो अइसने नियाव करइया मन मा सुम्मत नइ बनत हे।लाखो दरखास के सुनई अउ नियाव नइ होवत है।कथित पंच परमेश्वर उपर उंकरे संगवारी मन दोस लगावत हे। एकर ले हमर नियाव बेवस्था, संविधान उपर अउ नियाव करइयामन के उपर लांछन लगही।धरमराज मन गुनय अउ अपन अंतस मा बिचारे कि हमन देस अउ समाज ल काय रद्दा देखावत हन। कबीरदास के दोहा ले सीखंय।
जो दिल झांकव आपनो,मुझसा बुरा न कोय।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा,जिला-गरियाबंद
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