–अजय अमृतांशु
अब सवाल ये हे कि सरकार ल कइसे मजबूर करे जाय? कि छत्तीसगढ़ी ह प्रायमरी स्तर तक लागू हो जाय। हमन घेरी-भेरी राजभाषा आयोग डहर देखथन अउ आस लगाय रहिथन कि आयोग ह सरकार ल मजबूर करही। हम ये काबर नइ सोच सकन कि आयोग ह घलो सरकार के अंग आय अउ सरकार के अधीनस्थ काम करथे। आयोग ह सरकार ल केवल सुझाव दे सकथे अउ निवेदन कर सकथे येकर ले जादा आयोग ह कुछु नइ कर सकय। आयोग ह सरकार ल न तो आदेश दे सकय अउ न मजबूर कर सकय कि सरकार ह छत्तीसगढ़ी ल पाठ्यक्रम म लागू करय। येकर सेती आयोग से हम जादा उम्मीद नइ कर सकन। तब ये समस्या के हल का हे …?
ये समस्या के एके ठिन हल अउ रस्ता दिखथे वो रस्ता हे आंदोलन के। जम्मो साहितकार वरिष्ठ अउ कनिष्ठ एक जघा, एक मंच के तरी सकलाव अउ आंदोलन के रूपरेखा तय करव। नवोदित साहितकार के संगे संग एम.ए. छत्तीसगढ़ी करइया युवा अउ छत्तीसगढ़ी के लोक कलाकार मन ल घलो ए आंदोलन म सामिल करव। सबो झिन मिल के एक मजबूत संगठन तैयार करके आंदोलन के रूपरेखा के रूपरेखा तय करव। पहिली सरकार ल सांकेतिक रूप से चेतावनी दव, ओकर बाद धरना, प्रदर्शन फेर आंदोलन करे जाय। हमर बात ल नइ मानही तब तक क्रमिक भूख हडताल अउ अन्त म आमरण अनशन म घलो बइठे जाय। जब सबो झिन जुरमिल के ये कदम उठाबो तब कहूँ सरकार ह अपन कुंभकर्णी नींद ले जागही। जेन दिन सरकार ल ये अहसास हो जाही कि अब छत्तीसगढ़ी ल पाठ्यक्रम म सामिल नइ करबो त स्थिति ह विस्फोटक हो जाही तब उंकर आँखी खुलही। यदि हम साहितकार मन ही चुपचाप बइठे रहिबों त ये आवाज ल उठाय बर कोन आही ..? कोनो नइ आय। कोनो ल अतका फुरसत नइ हे छत्तीसगढ़ी के बारे म सोंचे के अइसन म छत्तीसगढ़ी ल पाठ्यक्रम म सामिल करे बर बेरा ले कूबेरा हो जाही।
अगर शांति पूर्ण आंदोलन के अवहेलना करे जाही त स्थिति ह विस्फोटक घलो हो सकथे। आंदोलन के एक हिस्सा येहू तय होय कि हम जम्मो साहितकार नेता मन ल ये बात के अहसास देवावन कि जेन नेता विधानसभा अउ मंत्रालय म छत्तीसगढ़ी म नइ बोलही वोला ये दरी जनता ह वोला वोट नइ देवय। कम से कम विधान सभा म सवाल अउ जवाब तो छत्तीसगढ़ी म करे जा सकथे। जब तक इन नेता मन छत्तीसगढ़ी म गोठ-बात नइ करही तब तक सरकारी करमचारी मन घलो छत्तीसगढ़ी बोलय अउ न ही पाठ्यक्रम म येकर क्रियान्वयन करय। छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के दर्जा मिले 9 बछर होगे हे फेर आज तक कोनो नेता मन मंत्रालय या विधानसभा म छत्तीसगढ़ी म नइ गोठियांय। जम्मो साहितकार अउ लोक कलाकार मन अपन-अपन क्षेत्र के नेता, विधायक मंत्री अउ सांसद ल ये बात के अहसास करावय कि विधानसभा म कम से कम गोठ-बात तो छत्तीसगढ़ी करव, खाली चुनाव के बेरा छत्तीसगढ़ी बोले ले काम नइ बनय अउ चुनाव जीतना हे त विधानसभा म घलो छत्तीसगढ़ी बोले ल परही अउ पाठ्यक्रम म घलो सामिल करे बर परही ये बात के अहसास देवाना जरूरी हवय।