हसदो नदिया के तिर म कलेसरनाथ भगवान।
दरसन जउन ओखर करिहि, आ बइकुंठ जाही।।
– प्रोफेसर अश्विनी केसरवानी
छत्तिसगढ़ प्रांत म घलो बड़कन जियोतिरलिंग जइसन काल ल जितवइया भोला बबा के मंदिर-देवालय हवय जेखर सावन म दरसन, पूजा-पाठ अउ अभिसेक करे म सब पाप धुल जाथे। अइसनहे एक ठन मंदिर जांजगीर-चापा जिला म हसदो नदिया के तिर म बसे पिथमपुर म हवय। सावन महिना म, महासिवरात्रि म अउ चइत परवा से अम्मावस तक 15 दिन इहां मेला भरथे अउ धूल पंचमी के दिन इहां भोला बबा के बरात निकलथे जेला देखे बर देस भर के साधु मन इहां आथे। घिवरा के लिखवइया नरfसंगदास वैष्णव भोला बबा के बरात ल देख के गीत लिखे हे:-
आईगे बरात गांव तीर, भोला बाबा जी के
देखे जाबो चला गिंया, संगी ला जगावा रे।
डारो टोपी, मारो धोती, पांव पायजामा कसि,
गल गलाबंद अंग, कुरता लगावा रे।
हेरा पनही दौड़त बनही, कहे नरसिंहदास
एक बार हहा करही, सबे कहुं घिघियावा रे।।
कोऊ भूत चढ़े गदहा म, कोऊ कुकुर म चढ़े
कोऊ कोलिहा म चढ़ि चढ़ि आवत..।
कोऊ बिघवा म चढ़ि, कोऊ बछुवा म चढ़ि
कोऊ घुघुवा म चढ़ि हांकत उड़ावत।
सर्र सर्र सांप करे, गर्र गर्र बाघ करे
हांव हांव कुकुर करे, कोलिहा हुवावत।
कहें नरसिंहदास, शंभु के बरात देखि,
जांजगीर के कवि सिरि तुलाराम गोपाल ह पिथमपुर ल सतजुगी गांव कथे अउ कुथुर-पामगढ़ के गीत लिखवइया सिरि बुटु सिंह चउहान ह कथे कि इहां पुन्नी म नहाय अउ पूजा-पाठ करे ले देवता धाम जाथे। ऐखरे बर इहां सब्बो झन आके नदिया म नहाके कलेसर भोला बबा के धूप, दिया जला के बेलपान, धतुरा, गांजा-भांग अउ फूलपान चढ़ाथे। अइसन करके मानता माने ले ओ हर पूरा हो जाथे फेर ओहर दूसर साल भूइयां नापत इहां आते अउ कलेसर भोला बबा के पूजा करथे। बहुत झन कथे-’इहां आय ले पेट पिरा ह थिरा जाथे।’ काबर कि इहां के हिरासाय तेली के अइसनहे करे ले ओखर पेट पिरा थिरा गिस। गजट म उड़िया राज के खरियार के राजा ल इहां पेट पिरा ल थिराय बर आय रहिन करके लिख हे। ऐमा राजा के नाम नइ लिखे हे। लेकिन ये किताब म असवनी ह लिखे हवय कि ओला खरियार के युवराज जे. पी. सिंहदेव चिट्ठी लिखे हे कि हमर बबा राजा बिर बिक्रम fसंहदेव ह पेट पिरा के खातिर पिथमपुर नइ गे रहिस, ओ हर लइका के आसिरबाद मांगे गे रहिस। ऊहां कलेसर भोला बबा के पूजा करिन अउ मनौती मानिस कि ओखर लइका होही त इहां एक ठन मंदिर बनवाही। ओखर दू ठन नोनी अउ दू ठन बाबु होइस । ओ हर पिथमपुर म एक ठन मंदिर बनवाइस अउ देवता बइठाय नइ पाइस अउ मर गे त इहां के पुजारी मन ओ मंदिर म गौरी मइया ल बइठाइस। अइसनहे कतुक गोठ बात ल ए किताब म लिखे हवय। पिथमपुर के कलेसर बबा के महिमा ल कोनो नइ जानय। बुटु सिंह ओखर महिमा ल गाथे:-
हसदो नदिया के तिर म कलेसरनाथ भगवान।
दरसन जउन ओखर करिहि, आ बइकुंठ जाही।।
फागुन महिना के पुन्नी, जउन ऊंहा नहाइन।
कासी जइसन फल पाही, अइसनहे गाथे वेद अउ पुरान।।
बारहो महिना के पुन्नी म जउन इहां नहाहि।
ओ हर सीधा बइकुंठ जाही, अइसनहे गाथे बरनत सिंह चउहान।।
– प्रोफेसर अश्विनी केसरवानी
‘‘राघव’’ डागा कालोनी,
चांपा-495671 (छ.ग.)