Raghuveer Agrawal Pathik

कोनो ल झन मिलै गरीबी, लइका कोरी कोरी : रघुबीर अग्रवाल ‘पथिक’ के गीत

निचट शराबी अऊ जुवांड़ी, बाप रहै झन भाई। रहै कभू झन कलकलहिन, चंडालिन ककरो दाई॥ मुड्ड़ी फूटगे वो कुटुम्ब के,… Read More

7 years ago

कबिता : नवा तरक्की कब आवे हमर दुवारी

अरे गरीब के घपटे अंधियारगांव ले कब तक जाबे,जम्मो सुख ला चगल-चगल केरूपिया तैं कब तक पगुराबे?हमर जवानी के ताकत… Read More

13 years ago

चरगोड़िया : रघुबीर अग्रवाल ‘पथिक’

चारों खुंट अंधेर अघात।पापी मन पनपै दिन रात।भरय तिजौरी भ्रस्टाचारआरुग मन बर सुक्खा भात॥रिसवत लेवत पकड़ागे तौ रिसवत देके छूट।किसम-किसम… Read More

14 years ago

रघुबीर अग्रवाल पथिक के छत्तीसगढ़ी मुक्तक : चरगोड़िया

छत्तीसगढ़ के माटी मा, मैं जनम पाय हौं।अड़बड़ एकर धुर्रा के चंदन लगाय हौं॥खेले हौं ये भुँइया मा, भँवरा अउ… Read More

14 years ago

चरगोड़िया

भूख नई देखय जूठा भात,प्यार (मया) नई देखय जात-कुजात॥समय-समय के बात, समय हर देही वोला परही लेनाकभू दोहनी भर घी… Read More

14 years ago