Rajkamal Singh Rajput

कविता : जोंधरा

भुईया वाले रे होगे बसुन्दरा । परोसी झोलत हावय जोंधरा ।। लोटा धर आईन मीठ-मीठ गोठियाईन हमरे पीड़हा पानी हमरे… Read More

10 years ago