रंग डोरी-डार ले गोरी, मया पिरीत के संग म,
आगे हे फागुन मोर नवा-नवा रंग म।
झूमे हे कान्हा-राधा के संग म,
मोर संग झुम ले तै, रंग के उमंग म।
रंग ले भरे गोरी, तोर लाल-लाल गाल हे,
होरी म माते, तोर रंग के कमाल हे।
फ़ाग गए फगुनिया, जियरा बेहाल हे,
रात भर बाजे नंगाडा, सुर अउ ताल हे।
रंग म तै मात ले गोरी, रंग के तिहार हे,
हरियर अउ लाल, तोर म दिखथे बवाल हे।
रंग के तिहार, होली रंग के तिहार हे,
नवा-नवा रंग म, लगे फागुन कमाल हे।
रंग तै डार गोरी, रंग तै डार ले,
अनिल कुमार पाली,
तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़।
प्रशिक्षण अधिकारी आई.टी.आई मगरलोड धमतरी।
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