बेटी हावय मोर, जगत मा अब्बड़ प्यारी।
करथे बूता काम, सबो के हवय दुलारी।
कहिथे मोला रोज, पुलिस बन सेवा करहूँ।
मिटही अत्याचार, देश बर मँय हा लड़हूँ।
अबला झन तैं जान, भुजा मा ताकत हावय,
बैरी कोनों आज, भाग के नइ तो जावय।
बेटा येला मान, कभू अब नइहे पाछू।
करथे रौशन नाम, सबो मा हावय आघू।
महेन्द्र देवांगन माटी
पंडरिया (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
#रोला_छन्द