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Sargujiha कहानी

सरगुजिहा कहनी – काकर ठन बिहाव करबे

कतवारू गांव कर किसान रहिस। जांगरटोर मेहनत के कारन ओकर घरे कोनों चीज कर कमी नइ रहिस। ओकर एकेठन बेटा रहिस सोमारू। कतवारू खुद नई पढे – लिखे रहिस बकिन ओकर मन में अपन बेटा ला पढ़ाय कर ललक रहिस। सोमारू घलो सुघ्चर लइका रहिस। पढ़ाई कर उपर ओकर. पूरा ध्यान रहे। संगे-संगे अपन बापो कर काम में हाथ बंटावे।

सोमारू जब गांवे कर इस्कूल ले बारहवीं पास करिस त ओकर बाप कतवारू चिलम चघाय के पूरे गांव में घूम-घूम के अपन बेटा कर गुन ला बखाने लागिस।। गरमी कर छुट्टी खतम होते ही कतवारू अपन बेटा ला आगू पढ़ाए बर सहर कर कालेज मे भरती करवा देहिस। पांच बच्छर बाद जब सोमारू एम.एम.पास करके अपन गांव लउटिस त पूरा गांव ओकर बड़ा आदर-मान करिस।। अब ओला सब झे सोमारू के जगहा पढ़नता बाबू कहे लागिन।

सोमारू बिआह लाइक होए गए रहिस। एक दिन ओकर बाप सोमारू ला समझात कहिस — “बेटा तैं अब बिआह जोग होए गए हवस। मैं चाहत हों कि तोर बियाह रकेली गाँव कर एगो अच्छा किसान परिवार कर लड़की से कर देंव। लड़की कम पढ़ल-लिखल जरूर हवे बकिन घर गिरस्ती सम्हारे लाइक हवे। ओहर काम बूतां के मारे आठवीं पास करके आगू नह पढ़ सकिस”।

लड़की कर आठवीं पास सुनते सोमारू कर आँखी – मुँह लाल होए गइस अउ चटिक लजात-लजात अपन बाप ठन अपन मन कर बात कह फोरिस-“दाउ ! मैं बी.ए. उपर एम.ए. हों। आठवीं पास लड़की ठन मैं बियाह नइ करों” सोमारू अपन फैसला सुना के अपन संगता मन डहर रेंग देहिस।

जब सोमारू अपन बाप कर गोठ ला ओमन ला बताइस त ओकर एगो सहर घूमल चन्ठ संगता हर समझावत कहिस- “अरे पढ़न्ता ! तैं ‘काबर फिकरावत हस। आज त बियाह लागवे कर दूंकान खुलिस हवे। उहाँ रिकिम-रिकिम कर छौंडी मन कर फोटू ओमन-कर पता, आदत, पढ़ाई-लिखाई अउ कुंडली घलो रहथे। उहाँ एगो लबरा पंडित घलो आसन लगाए के बइठे रहेल जेहर कइसनों कुंडली ला फीस ले के मिलाय देथे। काल चलबे मैं तोला उहाँ ले के चलहँ।’

अपन संगता कर गोठ – बात ला सुन के सोमारू के ओ दिन नींद नई आइस। ओकर आँखी में हिरोईन कर फोटू घूमत रहे। बिहाने सोमारू अपन संगता ला लेके बियाह दुकान में जाए पहुँचिस। उहाँ एगो रोट अकन बोर्ड में लिखल रहिस “बियाह आर्ट गैलरी।” दूकान कर मालिक चतुर राम बियाह बिसेसग्य कुर्सी में बइठे सिगरेट धूंकत रहे। ओकर ठन मिले कर फीस लिखल रहे- “पांच सौ रूपिया अठउ दहेज कर कमाई में बीस परसेन्ट फरके।”

सोमारू हर अपन संगता कर हिम्मत बंधाय पाछू अपन जेभा ले पांच सौ रूपिया निकाल के चतुर राम ला धराए देहिस। पइसा पाए के चतुर राम कोनों इस्कूल कर मास्टर अस पूछे लागिस – चतुर राम – तोर का नाम हवे गा ?

सोमारू – सोमारू राम, बी.ए. उपर एम.ए. पास। चतुर राम – का धंधा करथस?
सोमारू – असवें पढ़ के आए हों। नोकरी कर जोगाड़ में लगे हों। घरे खेती-बारी हवे।
चतुर राम – तब तो तोर तकदीर ठीक लागत हवे। कइअक ठन लड़कियो मन ला तोर अस पढ़ल-लिखल अउ बेरोजगार लइका मन ला खोझत रहथें।
संगता हर चहकत कहिस – देख सोमारू मैं तोला ठउके जगहा में लाने हों। तोर तकदीर खुले में अब देर नई लागे।
चतुर राम – तोला कइसन लड़की चाही बाबू ?
सोमारू – (चहकत) हिरोइन अस गा।
चतुर राम – ले देख। ये सब बियाह करे बर अपन फोटदू अउ फीस देहीन हवें। जे ला तैं पसींदाबे ओकरे ठन तोर बियाह करवा देहूं।
सोमारू – लेग त फोटू मन ला दिखाव।
चतुर राम – देख ये पंहिल फोटू किसान परिवार कर आठवीं पास लड़की फुलवारो कर हवे। खेती-बारी कर हर काम जानथे। रांधे-बांटे में पक्का हवे। सासं-ससुर ला दाई-दाउ अस मानही।
सोमारू – दूसर फोटू ला देखा।
चतुर राम – ये फोटू सहरी लड़की कर हवे। अपन दाई-दाउ कर एकीच ठन बेटी हवे। नगर निगंम कर अध्यछ हवे। सरकारी काम ले फुरसत नईं मिले तेकरे ले अपन दाई-दाउ ला बृद्धा आसरम मे लेज पेलिस हवे। अब अकेले एकदम फिरी हवे।
सोमारू – अउ फोटो हो ही तो देखावा।
चतुर राम – ले ए फोटू ला देख। हिरोइन अस दिखथे। सरकारी नोकरी में हवें। ए ला रोज दू चार गो आफिस में जाए बर परथे तेकर ले साइकिल में चढ़ के जाथे। एहर दहेज में एगो रेक्सा घलो देही। तोर काम एला जहां छौंड़ी जाही उहाँ रेक्‍्सा में बइठार के ले जाए बर परही। सोमारू कर मने चतुर राम कर देखाल सब फोटू घूमे लागिस। ओहर सोंचे लागिस की दूसर छौंड़ी हर अपन दाई-दाउ ला बृद्धा आसरम लेज पेलिस हवे। एहर मोरो दाई-दाउ ठन अइसने करही। अउ तीसर छोड़ी के एक ठन रेक्सा चलाए वाला के जरूरत हवे। बियाह के बाद मोला रिक्सा चलाए बर परही। मोर पढ़ल-लिखल बसा में धरल रह जाही। एकर ले ये हिरोइन मन ला छोंड़ के पहिल लड़की फुलवारो संग. बियाह करना ठीक हवे।

चतुर राम – बोल भाई तोला कोन छौंड़ी ठन बियाह करना हवे।
सोमारू – मैं आज कुछु नई बतांव। फेर कभों सोच के बताहूँ।

सोमारू अपन दाऊ ठन आएके रोय लागिस। तेकर अपन आँखी ला पोंछत कहिस – ” दाऊ मोर मुंड़ उपरे जोन भूत हर सवार रहिस भाग गइस हवे। अब तैं मोर बियाह जहाँ चाहत हस उहें कर सकथस। सोमारू कर बात सुन के फुलवारो के संगे सोमारू कर बियाह मड़वा गड़ गइस। अउ सात फेरा के बाद फुलवारो बहुरिया बन के सोमारू घरे आए के घर परिवार कर सेवा करे लागिस।

प्रकाश कश्‍यप
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