भोजन में दार भात बांकी सब कचरा।
देवता में महादेव अऊ हे ते पथरा॥
छत्तीसगढ़ राज म कतको पुराना शिव मंदिर विराजमान हावे जेकर लेख इहां के बड़े-बड़े साहित्यकार मन बेरा-बेरा में उल्लेख करे हावे। कलचुरि काल अउ सोमवंशी राजकाल में शिवमंदिर सावन महिमा म बिसेस साधना के जगा होथे भगवान शिव हिन्दू धरम के मुखिया देवता आय। बरम्हा- बिसनु-महेस तीन देवता में इंकर नाम आथे। पूजा, उपासना में शिव अउ ओकर सक्ती हे। मुख्य हे भगवान शिव ल सिधवा देवता कहे जथे तभे तो भगत मन नानकुन चबूतरा बना के गोल पथरा राख के मूरती बना के पूजा बर एक लोटा चल चढा देथे। ततकी म भगवान खुस हे। संभव हो तो बेलपत्ता घलो चढ़ा दो। फल-फूल, धूप-दीप, नौवेध, चंदन नई हे तभो ले भोले भण्डारी खुस हो जथे। अउ अपन भगत के मनोकामना ल पूरा कर देथे एकर ले सरल अउ सिधवा देवता अउ कोनो नई हे ॐ नम: शिवाय के पंचाछरी मंत्र ल जल ले जीवन सफल हो जथे। भगवान शंकर के रूप गोल बने हावे। सारी दुनिया ह तो भगवान आय तेकरे सेती भगवान सब जगा साकछात बिराजमान हावे, तेकरे सेती दुनिया गोल हे, धरती माता बिस्व माता गोल हे, चांद, सुरूज गोल हे।
कोई न कोई कथा ले जुड़े हमर भारत म बारह जगह भगवान शिव ह परगट होय रिहिस। ओखर महत्ता ह घलो कम नई हे ऐखरे सेती केहे गे हे कि बारह शिव लिंग में एक शिवलिंग के दरसन करना ह घलो गइंज पुन्य के काम आय, जीवन ह तर जथे अउ भगवान के किरपा ले ओखर जनम-जनम के दुख-पीरा ह कमतिया जथे।
बारह शिवलिंग के नाम जे हमर देश म विराजमान हावे-
1. केदारनाथ 2. सिरीमलिकार्जुन 3. महाकालेश्वर 4. सिरी सोमनाथ 5. सिरी त्र्यंबकेश्वर 6. सिरी धृणेश्वर 7. सिरी रामेश्वर 8. कांशी विश्वनाथ 9. सिरी बैद्यनाथ 10. सिरी नागेश्वर 11. ममलेश्वर 12. सिरी भीमाशंकर
हमर छत्तीसगढ़ में बिराजमान अउ पुराना शिवलिंग जेकर बिसेस महत्व हावे ओकर नाम जगा के नाम अइसन हावे-
1. कुलेश्वर महादेव:- सोढुल, पैरी अऊ नदी के तिरवेनी संगम राजिम में कुलेश्वर महादेव, भगवान राजीव लोचन, पंचमेश्वर महादेव अउ पंचकोसी महादेव इहां के परमुख मंदिर आय। हर साल सावन महिना में ये मंदिर में कांवर वाले अउ पूजा-पाठ करइया मन कई कोस ले इहां आके थियान लगाथे अउ अपन मनोकामना ल पूरा करथे।
2. चन्द्रचूड़ महादेव- शिवरीनारायण में चन्द्रचूड़ महादेव मंदिर विराजमान हावे, मंदिर के बाहिर म संवत 1919 के सिलालेख म लिखाय हावे तेकर अधार ले ऐला कुमार पालन नाम के कवि ह ये मंदिर ल बनाय हे अउ तीर के गांव ल दान में दे हावे इंही माखन साव घाट में परसिध महेश्वर नाथ महादेव मंदिर विराजमान हावे।
3. गंधेश्वर महादेव:- हमर छत्तीसगढ़ में महानदी के तीर में सिरपुर हावे सिरपुर के मेला पूरा छत्तीसगढ़ में गजब मानता हाबे। मेला में आस-पड़ोस अउ दूरदराज के मनखे मन मनौती मनाय बर बारो महिना आथें अउ अपन मनोकामना ल पूरा करथे। इहां आठवीं सताब्दी के गंधेश्वर महादेव बहुत बड़े बिसालकाय मंदिर हावे पुरातात्विक मानता के बहुत मंदिर दरसनीय हावे।
4. लक्ष्मणेश्वर महादेव:- पुराना कथा के अनुसार जिला जांजगीर में खरौद नाम के जगा हे। इही जगा में लक्ष्मण ह भगवान राम के बिनती करके लंका विजय के कामना ले के महादेव के इस्थापना करे हे एकरे सेती एकर नाम लक्ष्मणेश्वर महादेव परगे ऐला लखेश्वर महादेव घलो कथे।
5. कालेश्वर महादेव:- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला में हसदो नदी के तट में पीथमपुर हावे ऊंहा कालेश्वर महादेव के मंदिर बिराजमान हावे कथा के अनुसार बीर विक्रम बहादुर सिंहदेव ह कालेश्वर महादेव के पूजा पाठ करे के बाद बेटा के परापती होय रिहिस ये मंदिर ह बहुत पुराना आय।
6. पातालेश्वर महादेव:- कलचुरि राजा जावल्यदेव द्वितीय के शासनकाल म संवत 1919 में पंडित गंगाधर के बेटा सोमराज ह ये मंदिर ल बनवाय हावे। मंदिर में पातालभागी सुरंग बने हाबे, अरपा, लीलागर अउ शिवनाथ नदी येला घेर के राखे हावे ये मंदिर बहुत पुराना अउ देखे के लइक हावे।
7. बूढेश्वर महादेव- तुम्मान में कलचुरि राजा पृथ्वीदेव के वंशज मन बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर ल बनवाय हावे। मंदिर के आगू म बहुत बड़ कुंड बने हावे।
8. पाली के शिव मंदिर:- बिलासपुर के पाली में एक सरोवर के तीर में आठकोन (अष्टकोणीय) पुराना शिव मंदिर बिराजमान हावे। पाली के मंदिर म शिवरात्रि के दिन बहुत बड़े मेला लगथे। आस पड़ोस के मन अपन मनोकामना पूरा करे बर इहां आथे।
9. रूद्रेश्वर महादेव:- मनियारी अउ शिवनाथ नदी के संगम के तट में इस्थित ताला में शिवजी के अद्भुत 9 फुट अउ पांच टन वजनी बिसाल शिवलिंग हावे ऐकर निर्माण काल 6वीं-7वीं सताब्दी ई. पूर्व होय हे।
10. देव बलौदा:- दुर्ग जिला के देवबलौदा में बहुत पुराना शिव मंदिर हावे। भव्य मंदिर के तीर में एक ठन कुण्डनुमा तरिया हे। ये तरिया में नहा के भगवान शिव के दरसन करथें। महाशिवरात्रि में हर साल मेला भराथे। ये मंदिर के ऐतिहासिक महत्व हावे अउ दरसनीय इस्थान आय।
11. भोरमदेव- छत्तीसगढ़ के खजुराहो के नाम से परसिध ये मंदिर के निर्मान 7वीं-11वीं सदी के लगभग होय हे। मेकल पहाड़ी के बीच में बने हे हरा-भरा घनघोर जंगल के बीच म ये मंदिर बने हे। देस बिदेस के लोगन मन इहां रोज दिन देखे बर आथे। सावन महिना म इहां बहुत भारी मेला भराथे ये मंदिर देखे के लइक हे।
शेखचंद मेरिया
चरभंठिया
” ॐ नमः शिवाय ” सावन म शिव भगवान के स्मरण अऊ दर्शन हर घरे म ए दे हो गे , नीक लागत हे । देरानी- जेठानी हर हमर गॉव ” करही ” ले चार -पॉच किलो- मीटर के दुरिहा म हावय । हमन कभु-कभु ऊहॉ ग्रहण नहाए बर जावन । शंकर भगवान हर आशुतोष ए । हमर छत्तीसगढ म शिव के भारी महिमा हे । हमर भाखा ” ह्रर ” शिव- दर्शन म बूडे हावय । मैं ” हर ” , तैं ” हर ” , ए ” हर ” , ओ ” हर ” , नदिया ” हर ” . पहाड ” हर ” , दुष्ट ” हर ” , दोगला ” हर ” , हमन चर-अचर म शिव के दर्शन करत हन । हमर छत्तीसगढी हर बहुत समृध्द हावय , इहॉ ‘आन ‘ कोनो नोहय । दुष्ट अऊ दोगला के भीतरी घलाव हमन शिव के दर्शन करथन । हमन ” वसुधैव कुटुम्बकम् ” ल भभर के बौरथन,एही हमर संस्कृति ए – ” अयम् निजः परोवेति गणना लघुचेतसाम् उदार चरितानाम् तु वसुधैव कुटुम्बकम् । “
Mr Meria, sorry to asking you that – “Are you a historian, or a geologist, or a palaentologist, or a literary person?’ A literary person is not be needed this type of subject so much. Thanks.
kuber