श्याम लाल चतुर्वेदीपरमेश्वर के आसनलगथे आजेच उन आहीं : श्यामलाल चतुर्वेदी के कविताकहिनी : बाढ़ै पूत पिता के धरमपंच-पंच कस होना चाही