सुरता तोर आथे

पहाति बिहानिया हो चाहे,
संझाति बेरा के बुड़त संझा हो!
काम बुता म मन नी लागे,
भईगे सुरता तोर आथे!
का करवं तोर बिन,
ऐको कन मन नई लागे!
हर घड़ी बेरा कुबेरा,
सुसक सुसक्के रोवाथे!
बईहा पगला दीवाना होगेवं,
मया म तोर मयारु!
अब तो अईसे लागथे,
तोर बिन कईसे रहि पांहु!
जिनगी जिए जियत मरत ले,
किरिया तोला खवाहुं!
मया के जिनगी रहत ले,
अपन सजनी तोला बनाहुं!!

✒मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम”माया”
रुद्री नवागांव धमतरी

मया तोला करथवं
तोर नांव के गोंदना गोंदाऐवं
मोर मया के चिंन्हारी बर
अब्बड़ मया तोला करथंव
मया पिरित के फुलवारी बर
कभु मोर ले तैंय
गोठिया बतरा ले कर
मिले के बहाना
फुलवारी म आंय कर
कमल फुल कस हमर मया
फुलत रहय मया के तरिया म
रद्दा बाट जोहत रहिथवं
आमा बगीचा के बगिया म!!

मयारुक छत्तीसगढ़िया
सोनु नेताम माया
रूद्री नवागांव धमतरी
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]


Share
Published by
admin
Tags: Sonu Netam