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गोठ बात

सुरता मा जुन्ना कुरिया

पच्चीस बच्छर बीत गे हावय। हमर आठ खोली के घर के नक्सा नइ बदलिस। चारो मुड़ा खोली अउ बीच मा द्वार। एक खोली ले बाड़ी डहर जाय के रद्दा। पच्चीस बच्छर पहिली कुवाँर कातिक मा ये नवा घर ला नत्ता गोत्ता संग मिलके सिरजाय रहिन। संगे संग मोर बिहाव करेबर टूरी खोजेबर बात चलात रहिन। मोरो लगन फरियाय रहय। माघ महिना मा घर सिरजगे। फागुन महिना के आखिर मा वो परिवार मिलगे जौन अपन बेटी देयबर तियार होगे। चइत मा चुमा चाटी,पेज पसिया, पइसा धरई होगे। बइसाख नम्मी मा भाँवर माढ़गे। सगा सोदर, नत्ता गोत्ता, चीन पहिचान, अरोसी परोसी, अरपरा परपरा सबला नेवता हिकारी पहुँचगे। लगन दिन सबो नेग जोग बने बने निपट गे। चौथिया घलाव बलाय रहेन तब आइन। दूसर दिन नवा घर के पूजा मा सतनारायण कथा होइस। उही खोली ला तीसर दिन ले हमर नवा गृहस्थी बर सौंप देइस। सात बच्छर तक वो कुरिया हा हमर रहिस। दूनो बेटी के जनम अउ रोवइ हँसई इही खोली हा सुने हावय। कतको रात ला जाग के, सास ससुर के गारी बखाना के सेती गोसाइन के बइठे बइठे बिन नींद के काटे हावय। सात बच्छर पाछू छोटे भाई मन के बिहाव पाछू ये कुरिया उँखर गृहस्थी बर छोड़ेबर परिस। बिधि के बिधान हा अइसे बनिस कि दसवाँ बच्छर मा घरेचला छोड़ेबर परगे। नउकरी करत अब पन्दरा बच्छर अउ पूरगे। सब भाई मन के दू-दू झन बाल गोपाल होगे। सबअपन अपन काम बुता,रोजी पानी खातिर घर ले बाहिर चल दिन। सियान मन घर रखवार होगे। घर मा आना जाना अब तिहार बार मा होथे।

पच्चीस बच्छर पाछू जब गर्मी मा परिवार सहित घर जाना होइस तब हमर झोला ला उही कुरिया मा उतारे के मउका एक घाँव फेर मिलिस। आज घलाव ये कुरिया मा एकठन पलंग उही जगा जठे हावय। आलमारी नवा होगे हावय फेर जगा उहीच हे जेकर हमर दाइज के आलमारी ला रखे रहेन। जइसे हमर नान नान बेटी के जगा बड़े चेलिक होगे। फुला पठेरा, दर्पन, के जगा घलाव पच्चीस बछर मा नइ बदलिस। टेबल पंखा के जगा स्टैंड पंखा रखाय हवय। गणेश , लक्ष्मी , सरसती के फोटू के जगा मा जगत जननी दुर्गा बइठगे हावय, फेर जगा उहीच हे। दाई के कोरा,लीम-बर के छँइहा अउ नानपन के नाव सुने के सुख बरोबर सुख ये जुन्ना कुरिया मा आज मिलिस। मोर बड़े बेटी के नानपन के फ्राक जौन ला ओकर पहिली देवारी बर लेय रहेंव वो हा मुड़सरिया भीतरी ले सिलना टोर के मोला झाँकत रहिस मोर बेटी बर मोर कमाई के अँगरखा लेय के वो बेरा के सुख आज मोर आँखी ले आँसू बनके निकले लगिस। रतिहा गसाईन ला उही कुरिया मा भात खावत देख जुन्ना बेरा सुरता आगे दूनो झन एक दूसर ला देख के हाँस डारेन। जुन्ना कुरिया मा नवा दिन तसमई कस मिठावत हे।

हीरालाल गुरुजी”समय”
छुरा, जिला-गरियाबंद