Aanad Tiwari Pauranik

पानी हे अनमोल

भईया, बड़ कीमत के बोल। पानी हे अनमोल॥ पानी ले हे ये जीवन। नदिया, सागर, परबत, बन॥ पानी ले जिनगी… Read More

11 years ago

फागुन के दोहा

कहूं नगाड़ा थाप हे, कहूं फाग संग ताल। मेंहदी रचे हाथ म, अबीर, रंग, गुलाल॥अमरईया कोइली कुहकय, मऊहा टपके बन।पिंयर… Read More

13 years ago

लहुटती बसंत म खिलिस गुलमोहर : कहिनी

स्वाति ह मां ल पोटार के रोय लगिस। थोरिक बेरा म अलग होके कथे। मां मेंहा तोर दुख ल नइ… Read More

13 years ago

हीरानंद सच्चिदानंद वात्सायन अज्ञेय के तीन कविता

सांपसांप! तोला सऊर अभी ले नई आईससहर म बसे के तौर नई आईसपूछत हंव एक ठन बात-जवाब देबे?त कइसे सीखे… Read More

13 years ago

गोरसी

अघन पूस के जाड़ तन ल कंपाथे।गोरसी के आंच ह तभे सुहाथे॥हवा ह डोलय सुरूर-सुरूर।पतई पाना कांपय फुरूर-फुरूर॥रुस-रुस लागय पातर… Read More

13 years ago

जाड़ के घाम

सुरूर-सुरूर हवा चलय, कांपय हाड़ चाम।अब्बड़ सुहाथे संगी, जाड़ के घाम॥गोरसी के आगी ह रतिहा के हे संगी।ओढ़ना-जठना, गरीबहा बर… Read More

13 years ago

बाबागिरी

सावधान, बचके रहहू गा, साधू भेस म सैतान सिरी।चन्दन, दाढ़ी, जोगी बाना, चलावत हावयं बाबागिरी॥बड़े-बड़े आसरम हे इंखर।चेली-चेली, कुकरम हे… Read More

13 years ago

बरसा के बादर आ रे : कबिता

मयारू आंखी काजर कस छा रे।बरसा के बादर आ रे॥सुक्खा होगे तरिया, नरवा।बिन पानी के कुंआ, डबरा॥बियाकुल होगे जीव-परानी।सबो कहंय-कब… Read More

14 years ago

बरसा के बादर आ रे

मयारू आंखी काजर कस छा रे। बरसा के बादर आ रे॥ सुक्खा होगे तरिया, नरवा। बिन पानी के कुंआ, डबरा॥… Read More

14 years ago

कलजुगहा बेटा : नान्हे कहिनी

रतिहा के दस बजे के बेरा दसरी डोकरी के खैरपा ल कोनो लाठी मं ठठाइस अऊ जोर-जोर ले गारी देवत… Read More

14 years ago