मेला म लगे हे रहचुली तरी ऊपर घूमत सहेजे रहचुली चेंवचेंव चेंव नरियावत हे रहचुली बाबू, नोनी सबो ल बलावत हे रहचुली पईसा म झूले बर बइठाए म रहचुली आ रे टुरा झूल ले, कहिथे ये रहचुली मीत-मयारू के मया ठउर ये रहचुली आमा के ममहावत मऊर ये रहचुली जिनगी के संसो-पीरा मेटाथे ये रहचुली अंजरी भर खुसी बगराथे ये रहचुली जिनगी घलो हावय एक ठन हमर रहचुली मया, पीरा, लाली ओंठ देखाथे ये रहचुली बिछरे संगी जंहुरिया मिलाथे ये रहचुली गीत अऊ किलकारी सुनाथे ये रहचुली आंखी के भाखा…
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आम आदमी
आम आदमी के का औकात हे ओखर बर मंहगाई हे गरीबी, रोग-राई हे दु:ख के दुनिया हे झुग्गी, अऊ कुरिया हे खैराती अस्पताल हे न दवई, न डॉक्टर, खस्ता हाल हे राशन दुकान हे न कोनो समान हे इसकुल हे लईका के भीड़ कोरी खईरखा के नईए गुरुजी पढ़ई नइ हाय हे शुरूजी थाना म, दफ्तर म नेता के घर म रेल म, मोटर म गांव म, सहर म भीड़ बड़ भारी हे बड़ लाचारी हे मंत्री ह आय हे सड़क ह छेकाय हे दरिद्री अऊ भूख, पियास टूटत हे…
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