करसी के ठण्डा पानी

गरमी के मउसम अउ सुरूज नरायन अंगरा बरोबर तिपत हे। गरमी बरसात अउ ठण्डा के मउसम एक के पाछु एक आथे एहा जुग जुग ले चलत हे। फेर आजकल के मउसम बदले के समय हा घलो परिवरतन हो गे हे। आधुनिकता, उदयोग अउ बाढ़त परदूसन ले मउसम म घलो बदलाव होवत जावत हे। ऐ बदलाव के करइया हम मनखे मन आन। हमर राज म घलो तीनों ठन मउसम के अब्बड़ महत्व हे। बरसात फेर ठण्डा अउ ठण्डा के पाछु गरमी के मउसम आथे। ठण्डा तक तो नदी नरवा अउ कुवां…

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पावन धरती राजिम ला जोहार

पैरी सोढ़ू के धार, महानदी के फुहार पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार माघी पुन्नी के मेला भरागे किसम किसम के मनखे सकलागे दुख पीरा सबके बिसरागे अउ आगे जीवन मा उजियार पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार। तीन नदी के संगम हे जिहां बिराजे कुलेश्वर नाथ हमर राज के हे परयाग जागत राहय राजीवलोचन नाम धन धन भाग छत्तीसगढ़ के बाढ़त राहय एखर परताप पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार। पुन्नी पुनवास के मउसम आगे हमर परयाग मा मेला भरागे नवा सुरूज के दरसन पाके जाड़ शीत हा घलो…

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चिन्हारी- नरवा-गरूवा-घुरवा-बारी

देस होय चाहे राज्य ओखर पहिचान उहां के संसकरिति ले होथे। सुंदर अउ सुघ्घर संसकरिति ले ही  उहां के पहिचान दूरिहा दूरिहा मा बगरथे।  अइसने हमर छत्तीसगढ़ राज के संसकरिति के परभाव हा घलो हमर देस म अलगे हे। इहां के आदिवासी संसकरिति के साथ-साथ इहां के जीवन यापन, लोकगीत संगीत हा इहां के परमुख विसेसता आय। फेर ऐखर अलावा भुंइया ले जुरे संसकरिति के रूप म गांव अंचल के दैनिक जीवन के सब्बों क्रियाकलाप  घलो जमीनी संसकरिति आय। जेला आज बचाय के जरूरत हे। काबर ए हा समय के…

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नंदावत हे अंगेठा

देवारी तिहार के तिर मा जाड़ हा बाढ जाथे, बरसात के पानी छोड़थे अउ जाड़ हा चालू हो जाथे। फेर अंगेठा के लइक जाड़ तो अगहन-पूस मा लागथे। फेर अब न अंगेठा दिखे, न अगेठा तपइया हमर सियान मन बताथे, पहिली अब्बड़ जंगल रहय, अउ बड़े बड़े सुक्खा लकड़ी। उही लकड़ी ला लान के मनखे मन जाड़ भगाय बर अपन अंगना दुवारी मा जलाय, जेला अंगेठा काहय। कोनो कोनो डाहर अंगेठा तापे बर खदर के माचा घलो बनाथे। अउ उंहे बइठ जाड़ ला भगाय। फेर अब जमाना के संगे संग…

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10 दिसम्बर शहीद वीरनारायण सिंह बलिदान दिवस

सोनाखान के हीरा बेटा सोनाखान जमींदार रहय तैं, नाम रहय वीरनारायन। परजा मन के पालन करके, करत रहय तैं सासन।। इखरे सेवा मा बित गे जिनगी, अउ बितगे तोर जवानी। सोनाखान के हीरा बेटा, तैं होगे अमर के बलिदानी।। परिस अकाल राज मा तब ले, चलय न सकिस गुजारा। सबके मुख मा तहिं रहय, अउ तहिं उखर सहारा।। भरे गोदाम अनाज बांट के लिख देय नवा कहानी। सोनाखान के हीरा बेटा, तैं होगे अमर के बलिदानी।। सब के खातिर जेल गये तैं, तभो ले हिम्मत दिखाये। जेल ले भाग के…

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