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कविता

परकीति के पयलगी पखार लन

आवव, परकीति के पयलगी पखार लन। धरती ला चुकचुक ले सिंगार दन। परकीति के पयलगी पखार लन।। धरती ला चुकचुक ले सिंगार दन।। रुख-राई फूल-फल देथे, सुख-सांति सकल सहेजे। सरी संसार सवारथ के, परमारथ असल देथे। । धरती के दुलरवा ला दुलार लन। जीयत जागत जतन जोहार लन।। परकीति के पयलगी पखार लन।। 1 रुख-राई […]

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छंद दोहा

दोहालरी – दामाखेड़ा धाम

1-माघी पुन्नी मा चलव, दामाखेड़ा धाम। दरशन ले साहेब के, बनथे बिगड़े काम। 2-धर्मदास सतगुरु धनी,धरम नगर दरबार। दामाखेड़ा धाम के, चारों खुँट जयकार। 4-उग्रनाम साहेब जी, होइन संत फकीर। धरम नगर मा आ बसे, ब्यालिस अंश कबीर। 5-प्रगटे हें तिथि दसरहा, श्री प्रकाशमुनि नाम। दरस चरन गुरु के मिलय, दामाखेड़ा धाम। 6-माघ पंचमी शुभ […]

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छंद दोहा

दोहालरी नवा बछर के

1 नवा बछर शुभकामना,जिनगी हो खुशहाल। मन के कोठी मा मया,बाढ़य जी हर साल। 2 पाछू के अटके बुता,सफल सिद्ध हो जाय। नवा बछर हे देवता,जन जन सब मुस्काय। 3 मतलबिया घरफोरवा,झन दँय घातक घात। सुमता के दियना जलय,गाँव गली दिन रात। 4 अघुवा लहुटे दोगला,अइसन दिन झन आय। कथनी करनी एक हो,किरिया अपन निभाय। […]

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कविता

आगे सन् अट्ठारा : सार छंद

हाँसव गावव झुम के नाचव, आगे सन् अट्ठारा। मया रंग मा रंगव संगी, सबला झारा-झारा।1 मया बसे हे नस नस सबके, हावय प्रान पियारा। अपन पराया मा झन पर तँय, जुरमिल करव गुजारा।2 छोंड़ सुवारथ के बेमारी, बाँट मया के चारा। रंग रूप होथे चरदिनिया, जिनगी कहाँ दुबारा।3 मोलभाव हे करना बिरथा, आगर कभू आजारा। […]

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कविता

शिक्षक दिवस 5 सितम्बर : सिक्छक हँव सरलग सिखथँव

सिक्छक हँव सरलग सिखथँव घेरी बेरी सोंच समझ लिखथँव।। गियान अंतस थरहा डारँव, सिखोना ल जोरदरहा साजँव। बेवहार बिचार बीजा सिचथँव।।१ सिक्छक हव सरलग सिखथँव.. करम कमल अँइलाय झन, मन निरमल मइलाय झन। मित मितान संगी बन मिलथँव।।२ सिक्छक हव सरलग सिखथँव… कहाँ ले लानव मैं उदाहरन, काखर बताँव कहिनी कथन। लइका बर मैं असल […]

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कविता

देस बर जीबो,देस बर मरबो

देस बर जीबो,देस बर मरबो। पहिली करम देस बर करबो।। रहिबो हमन जुर मिल के, लङबो हमन मुसकिल ले। भारत भुँइयाँ के सपूत बनबो। धरती महतारी के पीरा हरबो।।१ देस बर जीबो……………. जात-धरम के फुलवारी देस, भाखा-बोली के भन्डारी देस। सुनता के रंग तिरंगा ले भरबो। बिकास के नवा नवा रद्दा गढ़बो।।२ देस बर जीबो……………. […]

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कविता

सावन समागे रे

[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”] धरती आज हरियागे रे। सावन सुग्घर समागे रे।। मोर मयारू के मया म, मन के पिरीत पिऊँरागे रे।। सावन सुग्घर समागे रे………. बादर गरजे, बरसा बरसे, बिन जोंही के हिरदे तरसे। अँखिया ले आँसू बोहागे रे। सावन सुग्घर समागे रे।।१ गिरत हे पानी,चुहत हे छानी, कहाँ लुकाय हे […]

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गीत

सावन के सवागत हे

बादर बदबदावत हे,बरसा बरसावत हे। अमरित अमावत हे,सावन के सवागत हे। गली-खोर मा चिखला, नांगर,भँइसा-बइला । खेती-खार,मुँही-टार, नसा चढगे सबला ।। जाँगर ला जगावत हे,करम ला कमावत हे। अमरित अमावत हे,सावन के सवागत हे ।।१ बादर बदबदावत हे,बरसा बरसावत हे।। चुहय छानी-परवा, छलकै नदिया-नरवा। दबकै चिरई-चाँटी , दउङै गाय-गरूवा ।। माटी ममहावत हे,चंदन जइसे लागत […]