राहट, दउंरी ‘दउंरहा’ अऊ चरका

आवा राहर के विषय म जानब कि ‘राहर’ का होथे- आघू जमाना में पानी पलोय के उपाय नई रहत रहीस हे क बखत नानपन म मेंहा मोर काकी के मइके कुथरौद गये रहेंव। उहां हाट घुमत-घुमत देखेंव कि दु ठन बइला ल लम्हा डोरी म फांद के किसनहा ह आघू रेंगाय अऊ पाछू रेंगाय। नानपन के जिग्यासा ह अड़बड़ रहिथे, मोरो जिग्यासा रहय नइ गिस अऊ येहा मोर ददा ल पुछ पारेंव ये काये गा। हमन बइल गाड़ा-बघ्घर म फआंद के आघु कोती रइगस देखे रहेव, फेर ये कइसे अलकरहा…

Read More