Arun Kumar Nigam

छन्द के छ : यहू ला गुनव ….

छन्द के बारे में जाने के पहिली थोरिक नान-नान बात के जानकारी होना जरूरी है जइसे अक्छर, बरन, यति, गति,… Read More

7 years ago

छन्द के छ : दू आखर

सुग्घर कविता अउ गीत, चाहे हिन्दी के हो, चाहे छत्तीसगढ़ी के, सुन के मन के मँजूर मस्त होके नाचना सुरु… Read More

7 years ago

देवारी तिहार के बधई

[bscolumns class="one_half"] अँधियारी हारय सदा , राज करय उजियार देवारी मा तयँ दिया, मया-पिरित के बार || नान नान नोनी… Read More

10 years ago

कवित्त

हमरेच खेत के वो चना ला उखनवाके हमरेच छानी-मा जी होरा भुँजवात हे अपन महल-मा वो बैठे-बैठे पगुरावै देखो घर-कुरिया… Read More

10 years ago

हमर मया मा दू आखर हे

हमर मया मा दू आखर हे इही हमर चिन्हारी जी तुँहर प्रेम के ढ़ाई आखर ऊपर परिही भारी जी. हमर… Read More

11 years ago

छत्तीसगढ़ी गज़ल : पीरा संग मया होगे

अइसन मिलिस मया सँग पीरा,पीरा सँग मया होगे.पथरा ला पूजत-पूजत मा,हिरदे मोर पथरा होगे.महूँ सजाये रहेंव नजर मा सीस महल… Read More

13 years ago

चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 6 : अरुण कुमार निगम

मात-पिता के मान हो, गुरु के हो सम्मान।मनखे बन मनखे जीये, सद्बुद्धि दे दान।। ओ मईया ......लोभ मोह हिंसा हटे,… Read More

13 years ago

चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 5 : अरुण कुमार निगम

कहूँ नाच-गम्मत कहूँ, कवी-सम्मलेन होय।कहूँ संत-दरबार सजै, कहूँ मेर कीरतन होय।। ओ मईया ......सिद्धि पीठ, मंदिर-मंदिर, जले जंवारा जोत।जेकर दरसन… Read More

13 years ago

चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 4 : अरुण कुमार निगम

बम्लेस्वरी बल दान दे, मयं बालक कमजोर।तोर किरपा मिल जाय तो, जिनगी होय अँजोर।। ओ मईया ......दंतेस्वरी के दुवार मा,… Read More

13 years ago

चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 3 : अरुण कुमार निगम

दुर्गा के दरबार मा, मिटे, दरद ,दुःख, क्लेस।महिमा गावें रात-दिन, ब्रम्हा बिस्नु महेस।। ओ मईया ......किरपा कर कात्यायिनी, मोला तहीं… Read More

13 years ago