नवग्रह के पूजा करैं, पूजैं गौरी-गनेस। खप्पर-कलस ला पूज के, काटयं कलह-कलेस।। ओ मईया …… तोर चरण अर्पण करवं, नरियर, मेवा, पान। जय अम्बे, जगदम्बे मा, जग के कर कल्यान।। ओ मईया …… मन बिस्वास के आरती, सरधा-भक्ति के फूल। अर्पित हे तोर चरण मा, हाँस के कर ले कबूल।। ओ मईया …… अगर-कपूर के आरती, गोंदा के गरमाल। पूजा बर मैं लाये हौं, कुंकुम, सेंदुर, गुलाल।। ओ मईया …… ब्रम्हानी-रुद्रानी मा, कमलारानी देख। सुर नर मुनि जन दुवार मा, पड़े हे माथा टेक।। ओ मईया …… सुम्भ-निसुम्भ सँहार करे,…
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चैत-नवरात म छत्तीसगढ़ी दोहा 1 : अरुण कुमार निगम
ओ मईया …… मूड़ मुकुट- मोती मढ़े, मुख मोहक-मुस्कान। नगन नथनिया नाक मा, कंचन-कुंडल कान।। ओ मईया …… मुख-मंडल चमके-दमके, धूम्र विलोचन नैन। सगरे जग बगराये मा, सुख-संपत्ति,सुख-चैन।। ओ मईया …… लाल चुनर, लुगरा लाली, लख-लख नौलख हार। लाल चूरी, लाल टिकुली, सोहे सोला सिंगार।। ओ मईया …… करधन सोहे कमर मा, सोहे पैरी पाँव। तोर अंचरा दे जगत ला, सुख के सीतल छाँव।। ओ मईया …… कजरा सोहे नैन मा, मेहंदी सोहे हाथ। माहुर सोहे पाँव मा, बिंदी सोहे माथ।। ओ मईया …… एक हाथ मा संख हे, एक…
Read Moreअप्रैल फूल के तिहार
हमर देस मा तिहार मनाये के गजब सऊँख। सब्बो किसिम के तिहार ला हमन जुरमिलके मनाथन। तमाम जातपात, धरम-सम्प्रदाय के तिहार मन ला एकजुट होके मनाये के कारन सांप्रदायिक सदभाव अउ एकता के नाम मा हमर दुनिया में अलगेच पहिचान हे। तिहार मनाये बिना हमर बासी-भात तको हजम नई होवय। तिहार मनाये के सऊँख मा हमन प्रगतिसील होगेन। बिदेस के तिहारो ला नई छोड़न। भूमंडलीकरन के जमाना मा नवा पीढ़ी हर “वेलेन्टाइन-तिहार” मनाये बर पगलागे। “वेलेन्टाइन-तिहार” मया करइया जोड़ा के बिदेसी तिहार आय। एमा पुलिस संग रेस-टीप खेल के अपन…
Read Moreअरुण कुमार निगम के गीत : नइ भूलय मिट्ठू तपत कुरु ….
आई लव यू………आई लव यू….तयं बोल रे मिट्ठू , आई लव यू….तपत कुरु के गये जमानाबोल रे मिट्ठू – आई लव यू….. राम-राम के बेरा -मा, भेंट होही तो गुड मार्निंग कहिबेए जी,ओ जी झन कहिबे,कहिबे तो हाय डार्लिंग कहिबेसबो पढ़त हे इंग्लिश मीडियमतयं काबर रहिबे पाछू …..आई लव यू………आई लव यू….तयं बोल रे मिट्ठू , आई लव यू…. हाट – बजार के नाम न ले , तयं मार्केटिंग बर जाये करकोन्हों क्लब के मेंबर बन के ,रोज स्वीमिंग बर जाये करसमझ न आये इंग्लिश पेपरतभो मंगाए कर बाबू…..आई लव…
Read Moreअरुण निगम के छत्तीसगढी गीत : मन झुमै ,नाचे ,गावै रात-दिन
मया के पहिली-पहिली चघे हे निसा,मन झुमै , नाचै , गावै रात – दिन.आवत हे,साँस-साँस जीए के मजा,मन झुमै , नाचै , गावै रात – दिन. अपने आप हांसत हौं,अपने आप रोवत हौं,आनी-बानी रँग-रँग के , सपना संजोवत हौं.पिया के ! घेरी – बेरी आवय सुरता…मन झुमै , नाचै , गावै रात – दिन . बिंदिया लगावत हौं , रूप ला सजावत हौं,सोलहों सिंगार कर के , दर्पण निहारत हौं.लाजवौं ! हाथ-मा लुका के चेहरा….मन झुमै , नाचै , गावै रात-दिन . बिन देखे मन तरसै , देखे लजावत हौं,जाने…
Read Moreअरुण कुमार निगम के छत्तीसगढी गीत : चले आबे नदी तीर मा …..
खन-खन बाजे चूरी , छन – छन बाजे पैरी ,हाय ! दूनों होगे बैरी,कइसे आवंव नदी तीर-मा ? चूरी – ला समझा दे अउ ,पैरी – ला मना ले ,मेंहदी -माहुर लगा के ,चले आबे नदी तीर-मा. बैरी ! मान गे हे चूरी अउ चुप होगे पैरी ,अब आँखी भेद खोले, कैसे आवँव नदी तीर-मा ? आँखी काजर लगा के,दूनों नैना ला झुका के चुप्पे गगरी उठा के,चले आबे नदी तीर-मा. आँखी कजरा लगाएँव,चुप्पे गगरी उठाएंव अब चाल होगे बैरी,कैसे आवंव नदी तीर -मा ? लोक – लाज के बिचार…
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