बस्ता

घाठा परगे खाँध म धर लेथन बस्ता कभू-कभू हाथ म झोला के पट्टी संघार के बोह लेथन बस्ता लकड़ी के साँगा डार के ज्ञान के जोरन आय सबो पढ़थैं जेला प्राथमिक शिक्षा कहाय पीठ म पाठ लदाथे भाग गढ़े खातिर कतको दूरिहा रेंगाथे फूलतिस हँसी फूल अस होंठ म बस्ता के लदना होतिस कम जब रहितिस ग्रंथालय सबो स्कूल म बस्ता बस ले बाहिर जेन बोहैं तेने जानैं बोहे बर कइसे होगैं माहिर | असकरन दास जोगी

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चँदा दिखथे रोटी कस

अक्ति के बोनी बितगे हरेली के बियासी लाँघन-भूखन पोटा जरत कोन मेर मिलही भात तियासी देवारी बर लुवई-टोरई मिस के धरलीन धान खरवन बर रेहरत रहिगेन गौटिया मन देखाइन अपन शान जन-जन खाइन मालपुआ फरा ठेठरी नइ खुलिस हमर बर ककरो गठरी गाँव म घर नहीं न खार म खेत चँदा दिखथे रोटी कस कर लेतेव कोनो चेत असकरन दास जोगी 9340031332 www.antaskegoth.blogspot.com

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धन्यवाद ल छत्तीसगढ़ी मँ का कइथें ?

अमरू- बाईक ल फर्राटा स्पीड मँ चलावत गेंट ले अँगना भीतरी घुसरीच। थथर-थईया करत धरा-रपटी बाईक खड़ा करके अँगना मँ बइठे अपन बबा कोती दौंड़ीच। जुगुल दास- ओकर बबा हर ओकर हालत ल देख के अपन पढ़त किताब ल बंद करके कइथे, अरे धीर लगा के गाड़ी चलाय कर अराम से आव। तोला आज का होगे हे ? अमरू- तीर म आके कहत हे,का बतावँ बबा आज तो जउँहर फंसगेवँ। जुगुल दास- हो का गे तेला तो बता ? अमरू- आज हमर बी.ए. सेकेण्ड ईयर क्लास के पहिला दिन रहिस,…

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विष्णुपद: छंद – मोखारी

बबा लाय हे दतवन नोनी,दाँत बने घँसबो ! जीभ सीप के कुल्ला करबो,कुची फेंक हँसबो !!1!! बनतुलसा बर बोइर बमरी,टोर लन चिरचिरा ! करंच मउहाँ सब्बो दतवन,लीम हे किरकिरा !!2!! बमरी सोंटा के मोखारी,गाँव-गाँव चलथे ! घड़ी-घड़ी मा खेलत खावत,आज कल निकलथे !!3!! हँसिया बाँधै डँगनी धरके,दतवन अभी मिलही ! लाम छँड़ा ला टोरै सब्बो,दाँत तभे खिलही !!4!! नवा जमाना धरके आगे,टूथ ब्रस घँसरबे ! टूथ पेस्ट तो रइथे बढ़िया,देख तहूँ फँसबे !!5!! मजा कहाँ जी दतवन जइसन,करू लीम बमरी ! दाई बाबू माँगत हावै,चलना जी लमरी !!6!! बैकटेरिया मरथे…

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धूवा मारे : विष्णुपद छंद

(भ्रूण हत्या) धूवा मारे काबर पापी,पाबे का मन के ! बेटा मिलही ता का करबे,चलबे का तनके !!1!! बेटी-बेटा मा भेद करे,लाज कहाँ लगही ! नाक-कान तो बेंचे बइठे,कोन भला ठगही !!2!! नारी-नारी बर जी जलथे,मोर इही कहना ! ममता देहव तबतो दाई,सुघर संग रहना !!3!! धूवा सँचरे लालच ठाने,मशीन मा दिखथे ! चेक कराके फाँदा डारे,पापी मन हिलथे !!4!! डॉक्टर बनथे संगी तुँहरे,लोभ फूल खिलथे ! नियत-धरम के सौदा करथे,कोख तहाँ मिटथे !!5!! कतको धूवा अलहन सँचरे,मया जाल फँसके ! धूवा मारव काबर संगी,आज तुमन हँसके !!6!! नाबालिक में…

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कका के बिहाव : सार-छंद

कका बता कब करबे शादी, देख जवानी जाथे ! बइठे रोथे दादी दादा, संसो घानी खाथे !!1!! ढ़ींचिक-ढ़ींचिक नाचत जाबो, बनके तोर बराती ! पागा-पगड़ी माथ बँधाये, देखे राह घराती !!2!! गँड़वा-डीजे जेन लगाले, नागिन पार बजाबो ! बुड़हा-बुड़ही रंग जमाही, सबला खींच नचाबो !!3!! दाई कइही जी देरानी, घर अँगना के रानी! आव-भाव मा देवी रइही, देही सबला पानी !!4!! रोजगार के करले जोखा, करथच रोज बहाना ! गाँव गली मा सुनथे बाबू, देथैं कतको ताना !!5!! नवा-नवा तो कपड़ा लाबे, बनबे बढ़िया राजा ! इसनो अबरख साज लगाबे,…

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कहानी : डाक्टर बिलवा महराज के बेटा पीच दारू

आज गाँव म स्वक्षता अभियान बर रैली निकले हे,मेडम-गुरु जी मन आगू-पाछु रेंगत हे ! स्कूल के जतका लइका हें सब लाईन लगाय ओरी-ओर रेंगत हवैं अउ नारा लगात हें ! स्वक्षता लाना हे.. गाँव बचाना हे, बोलव दीदी बोलव भईया हर-हर…शौंचालय बनवाबो घर-घर नारा ल चिल्लावत रैली ह जावत हे ! भक्कल अपन दुकान म बइठे-बइठे देखत हे संग म ओकर गोसइन चुनिया घलो हे भक्कल चुनिया ल कइथे ए गाँव के कुछ नइ हो सकै, चुनिया कइथे सहीं काहत हवच ! भक्कल खुर्सी ले उठथे दुकान के कोंट्टा…

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छत्तीसगढ़िया मन कहां हें ?

छत्तीसगढ़ राज सोनहा भुईयां हिरा बरोबर चमकत हे ! मयारू मैना के बासई ह मन ल हर लेथे , देखते-देखत म गोंदा, मोंगरा अऊ दौना के रंग अऊ महकई हर अंगना-दुआर ल पबरित कर देथे ! गांव-गांव गली-गली म लोक कला के घुंघरू,मांदर अईसे बाजथे के हिरदे ल हुंक्कार के मुह म गीत के राजा ददरिया सऊंहात आ जाथे तिहां छत्तीसगढ़ के मया-मरम , सुख-दुख के कहानी ल एकक ठन पढ़-पढ़ के ओरिया देथे ! आज छत्तीसगढ़ ल अलग राज बने 16 बछर होगे हे 17 बछर होवईया हे !…

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नवा बछर के आवभगत

अघ्घन अउ पूस के पाख चलत हे जेला सरमेट के अंगरेजी कलेंडर म दिसम्बर महिना कहे जाथे ! जब तक सुरुज निटोरही नही सहर भर जाड़ बरसत रइथे ! जाड़ के मारे ए मेर ल ओ मेर के मनखे मन सब गरम ओढ़ना मं दिखथैं ! गाड़ी-मोटर मन रात-बिकाल अउ बिहनहे के झुलझुलहा होत ले सरपट-सरपट दउँड़त रइथे ! गाड़ी मोटर तो बड़ बाय होगे हे हारन ल अतका बजाथें के कान के परदा घलो हर फुट जाही सड़क तीर के मन कइसे बसर करथें ओही मन जानहीं ! हमर…

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