भंवरा तोर मन के नोहे: बद्री विशाल परमानंद

परगे किनारी मा चिन्हारी, ये लुगरा तोर मन के नोहे लागे हाबे नैना मा कटारी, ये कजरा तोर मन के नोहे लडठका ह लउकत हे दांतन मा तोर मीठ बोलना बजा देते मादर ला तोर लइसे लागे तोर खोपा मा गोई गुंझियागे हे करिया बादर ह वो इंद्रराजा आगे धनुषधारी, ये फुंदरा तोर मन के नोहे….. कोन बन मा बंसरी बजाये मोहना सुरता समागे सूरसुधिया जकर बकर होगे रे लकर धकर होगे रे कइसे परावत हे रधिया जइसे भगेली कोनी नारी, ये झगरा तोर मन के नोहे….. नाचत हे रधिया…

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गीत: सरद के रात

तैं अँजोर करे चंदा, हीरा मोती के चंदैनी बरे धरती धोवागे निरमल अगास खोखमा फूल के होवथे विकास लानिस संदेस ला डहरचला आवशथे जीव के जुड़ावन सगा लुंहगी मारथे सपरिहा, उमड़त हे मन हा उचैनी चढ़े…… खेत के तीर तीर खंजन चराय कुलकत हे धनमत हांसय लजाय आसा विचारी के मन होगे रीता सरग ले गिर परे धरती में सीता तोला खोजत हे पपिहरा, अइसन निठुर चोला काबर बने….. चंदा संग जमुना फुगड़ी खेले झांकत हे मधुबन दरपन देखे का कहिबे दीदी सुहावन के बात मोहनी सरदा रितु के रात…

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किसान

नंगरिहा, नई उपजै तोर बिना धान। धरती पूंजी धरती रुंजी, धरती पूत किसान।। मिहनत ला जनमत पाये हस सबके सेवा बर आये हस तोर तपसिया तीन बतर के बरसा जूड तिपान। अब आगे हे तोर दिन बादर बरसे ला पानी चल मोरे नांगर लहू पछीना, टोरे जाँगर, बइला तोर मितान। दाई के थन मां दूध भरे हे लइका बर भगवान गढे़ हे जइसे तोला गढ़के भेजिस भुंइया बर भगवान। – बद्री विशाल यदु ‘परमानंद’

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